फौजदारी, ज़मीनी विवादों, आपसी सगे-सम्बन्धियों से कानूनी लड़ाइयों में उलझकर ज़िन्दगी को नीरस और रंगहीन बना चुके प्रदेश के ग्रामीणजन को न्याय आपके द्वार अभियान द्वारा तुरंत और उचित न्याय दिलाकर मुख्यमंत्री वसुंधरा राजे ने उनके जीवन में सकारात्मकता का रंग भरा है। पिछले तीन सालों से राजस्थान के गाँव-गाँव में संचालित होने वाले इस अभियान द्वारा अब तक लाखों परिवादियों ने न्याय का स्वाद चख़ा है।
तीन साल में सुलझे 84 लाख 54 हज़ार मामले:
राज्य के गाँव-गाँव में जाकर परिवादियों को न्याय देने के लिए आयोजित होने वाले न्याय आपके द्वार अभियान के पहले चरण में वर्ष 2015 में जहाँ 16 हजार शिविरों में 21 लाख 43 हजार से अधिक राजस्व मामलों का निस्तारण किया गया एवं 164 ग्राम पचायतों को राजस्ववाद से मुक्त किया गया। वहीँ अभियान के दुसरे चरण वर्ष 2016 के अन्तर्गत राज्य भर में 12 हजार 387 शिविर लगाकर, 48 लाख 46 हजार 54 मामलों का निस्तारण कर 431 ग्राम पंचायतों को राजस्व वाद से मुक्त घोषित किया गया। अभियान का तीसरा चरण वर्ष 2017 भी सफलतापूर्वक संचालित हो चुका है। इसके अंतर्गत कुल 14 लाख 65 हज़ार परिवादियों को न्याय मिला है।
इस तरह इस अभियान के द्वारा पिछले तीन वर्षों में अब तक कुल 84 लाख 54 हज़ार राजस्व प्रकरणों का सफलतापूर्वक निस्तारण कर गाँवों में रहने वाले राजस्थान के आम जनजीवन को राहत प्रदान की गई है।
अब न्याय के लिए भटकना नहीं पड़ता:
पहले जहाँ कानूनी दावपेच में उलझा हुआ ग्रामीण न्याय की आस लगाकर हर महीने पास के शहर में किसी न्यायलय में जाता था, और हर बार अपनी तारीख साधकर लौट आता था। ऐसे वंचित जनों को मुख्यमंत्री वसुंधरा राजे द्वारा शुरू किये गए इस अभियान से सीधा फायदा मिला है। लगातार तीसरे साल प्रदेश के गाँवों में आयोजित होने वाले इस अभियान शिविर के माध्यम से अब तक लाखों वंचितों और उनपर आश्रितों को न्याय मिला है।
एक ही जगह मिल जाता है न्याय:
इन शिविरों में प्रार्थी को त्वरित और उचित न्याय देने के लिए न्यायव्यवस्था और प्रशासन के विशेष जानकारों के साथ ही तहसीलदार, पटवारी, सरपंच व भू-प्रबंधन से जुड़े सभी लोग एक ही जगह मौजूद होते हैं। जिससे किसी भी स्तर पर आवश्यक दस्तावेज़ों का निरीक्षण शिविर में ही हो जाते हैं। मामले के प्रत्येक चरण की सुनवाई भी एक ही जगह पर हो जाती है।
आने वाली पीढ़ी का भविष्य खुशहाल हुआ:
राज्य सरकार ने अपने इस अभियान से ऐसे अनेक फरियादियों को न्याय दिया है, जिनकी पीढ़िया देश की कछुआ चाल क़ानून व्यवस्था से न्याय की आस लगाकर गुज़र चुकी है। सालों से लंबित चले आ रहें इन प्रकरणों में सरकार ने दोनों पक्षों के बीच आपसी रज़ामंदी व समझौते द्वारा सुलह करवाई है। इन शिविरों में ऐसे अनेक मामले सामने आये जो पिछले 40 सालों से अदालती फाइलों में दबे पड़े थे। इस अभियान के द्वारा भारतीय ग्रामीण परिपेक्ष्य में अक्सर अपना सिक्का जमाकर रखने वाले ठाकुरों और महाजनों की कुनीति से ग्रस्त वर्ग को नया जीवन मिला है।