जयपुर। प्रदेश में कोरोना महामारी के बीच गुर्जर आरक्षण आंदोलन को लेकर सरकार और गुर्जर समाज की गतिविधियां तेज हो गई हैं। राज्य सरकार 1 नवंबर से होने वाले आंदोलन को थामने के लिये जहां गुर्जर समाज के नेताओं को वार्ता के लिये राजी करने में जुटी है, वहीं कानून-व्यवस्था को बनाए रखने के लिये ऐहतियाती कदम उठाने शुरू कर दिये हैं। इसके तहत भरतपुर और करौली जिलों में इंटरनेट सेवाएं बंद कर दी गई हैं। दूसरी तरफ तरफ गुर्जर नेता भी आंदोलन के लिये भावी रणनीति बनाने में जुटे हैं।
इंटरनेट बंद, पुलिस—प्रशासन अलर्ट
गुर्जर समाज द्वारा वार्ता से इनकार करने और आंदोलन के लिये अड़े रहने के उनके रवैये को देखते हुये गुरुवार रात 12 बजे से करौली और भरतपुर जिले में इंटरनेट बंद कर दिया गया है। पुलिस-प्रशासन दोनों जिलों में पूरी तरह से अलर्ट मोड पर है। सरकार की खुफिया एजेंसियां भी पल-पल की गतिविधियों पर नजरें टिकाये हुये हैं। गुर्जर समाज ने 1 नवंबर से भरतपुर जिले के बयाना के पीलूपुरा से आंदोलन की घोषणा कर रखी है।
गुर्जर नेताओं की गैरमौजूदगी में बैठक
गुर्जर आरक्षण मसले के समाधान के लिये गठित राज्य सरकार की कैबिनेट सब कमेटी ने गुरुवार को भी गुर्जर नेताओं को वार्ता के लिये न्योता भेजा था, लेकिन उनकी तरफ से बैठक में कोई शामिल नहीं हुआ। बाद में गुर्जर नेताओं की गैर मौजूदगी में कैबिनेट सब कमेटी की बैठक हुई। उसमें चिकित्सा मंत्री डॉ. रघु शर्मा, खेल मंत्री अशोक चांदना और संबंधित विभागों के वरिष्ठ अफसर मौजूद रहे। बैठक के बाद मंत्री चांदना और शर्मा ने साझा प्रेस कॉफ्रेंस कर गुर्जरों के लिये तीन नई घोषणायें करते हुए कहा कि सरकार के स्तर पर अब कुछ भी बाकी नहीं है।
-पहली घोषणा
गुर्जर आंदोन के दौरान घायल हुए व्यक्तियों में से कैलाश गुर्जर, मानसिंह गुर्जर, एवं बद्री गुर्जर की कुछ वर्षों बाद मृत्यु हो गई थी। बैठक में लिए गए निर्णय के अनुसार इनके परिवार को सामाजिक स्तर पर सहायता जुटाकर राज्यमंत्री अशोक चांदना की ओर से पांच लाख रुपए प्रत्येक परिवार को सहायता के रूप में दिए जाएंगे।
-दूसरी घोषणा
दूसरे बिंदू पर लिए गए निर्णय के अनुसार अति पिछड़ा वर्ग के जिन 1252 अभ्यर्थियों का परिवीक्षाकाल पूर्ण हो चुका है, उन सभी अभ्यर्थियों को राज्य सरकार की ओर से परिवीक्षावधि पूर्ण होने पर रेगुलर पे स्केल दी जाएगी।
-तीसरी घोषणा
राज्य सरकार (कार्मिक विभाग) ने अति पिछड़ा वर्ग के लिए आरक्षण से संबंधित प्रावधान को नौवीं अनुसूची में शामिल करने के लिए पूर्व में भारत सरकार को 22 फरवरी, 2019 एवं 21 अक्टूबर, 2020 को लिखा गया है। बैठक में संमिति की तीसरी मांग के संदर्भ में लिए गए निर्णय के अनुसार इसके लिए पुन: भारत सरकार को उक्त आरक्षण प्रावधान को नौवीं अनुसूची में शामिल करने के लिए राज्य सरकार की ओर से तत्काल लिखा जाएगा।