जयपुर। लेकसिटी उदयपुर में आयोजित हुए कांग्रेस के तीन दिवसीय नव संकल्प शिविर में कई अहम और बड़े फैसले लिए गए हैं। शिविर में छह अलग-अलग ग्रुप की ओर से किए गए मंथन और सुझावों के बाद पहले कांग्रेस वर्किंग कमेटी में इन प्रस्तावों हरी झंडी दी गई और बाद में ओपन सेशन में इन्हें पारित किया गया। सीएम अशोक गहलोत के बेटे वैभव गहलोत को 2019 में लोकसभा का टिकट दिया गया। लेकिन वे चुनाव हार गए थे। अब वे राजस्थान क्रिकेट एकेडमी के अध्यक्ष है। नए फार्मूला के बाद 2023 के विधानसभा चुनाव में अशोक गहलोत दावेदारी करते है तो वैभव गहलोत के सामने मुश्किल खड़ी हो सकती है।
‘एक परिवार, एक टिकट’ से परेशानी
चिंतन शिविर में तय हुए फॉर्मेूले एक परिवार-एक टिकट ने राजस्थान के मंत्रियों की चिंंता बढ़ा दी है। प्रदेश में कई ऐसे मंत्री और नेता हैं, जिनके परिवार के सदस्य भी किसी न किसी पद पर है। ऐसे में नए फैसले के बाद उन्हें तय करना होगा कि या तो वे चुनाव लड़ेगे खुद रहेंगे या फिर परिवार में से किसी एक को मौका मिलेगा।
कई मंत्रियों के बेटे राजनीतिक में सक्रिय
लोकसभा चुनाव हो या विधानसभा का, चाहे प्रधान का चुनाव या जिला प्रमुख का। राजस्थान के कई मंत्री हैं, जिन्होंने लोकसभा में अपने परिजन के लिए टिकट मांगा। साथ ही, इनके परिजन जिलों में और पंचायत में प्रमुख-प्रधान भी हैं। हालांकि, पार्टी ने ताले के साथ चाबी भी दे दी है और एक शर्त रख दी है कि कम से कम पांच साल या इससे पहले से यदि परिजन राजनीतिक क्षेत्र में सक्रिय है, तो वह टिकट की दावेदारी कर सकता है। मंत्रियों में ऐसे कई हैं, जिनके बेटे राजनीतिक क्षेत्र में सक्रिय है।
नव संकल्प शिविर में ये पारित किये गये ये प्रस्ताव
– अगले 90 से 180 दिनों में पूरे देश में ब्लॉक से लेकर जिला, प्रदेश और राष्ट्रीय स्तर के खाली पदों पर नियुक्तियां हो जाएंगी।
– अब ब्लॉक कांग्रेस के साथ-साथ मंडल कांग्रेस कमिटियों का भी गठन होगा।
– संगठन में राष्ट्रीय स्तर पर 3 नए विभागों का गठन होगा।
– ‘पब्लिक इनसाइट डिपार्टमेंट’ बनेगा। यह विभिन्न विषयों पर जनता के विचार जानने और नीति निर्धारण के लिये तर्कसंगत फीडबैक कांग्रेस नेतृत्व को देंगे।
– ‘राष्ट्रीय ट्रेनिंग इंस्टीट्यूट’ का गठन होगा। यह पार्टी की नीतियों, विचारधारा, दृष्टि, सरकार की नीतियों और मौजूदा ज्वलंत मुद्दों पर पार्टी के नेताओं व कार्यकर्ताओं को ट्रेनिंग देगा।
– केरल स्थित ‘राजीव गांधी इंस्टीट्यूट ऑफ डेवलपमेंट स्टडीज’ से इस राष्ट्रीय ट्रेनिंग इंस्टीट्यूट की शुरुआत होगी।
– AICC लेवल पर ‘इलेक्शन मैनेजमेंट डिपार्टमेंट’ बनेगा जिससे हर चुनाव की तैयारी प्रभावशाली तरीके से होगी।
– भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस के महासचिव (संगठन) के तहत AICC से लेकर जिला कांग्रेस कमेटी के पदाधिकारियों के कार्य का मूल्यांकन होगा।
– इसी के आधार पर पार्टी में फिर उन्हें प्रमोशन मिलेगा। निष्क्रिय पदाधिकारियों की छंटनी होगी।
– 5 वर्षों से अधिक कोई भी व्यक्ति एक पद पर नहीं रहेगा।
– नए लोगों को मौका दिया जाएगा।
– CWC, AICC, प्रदेश, जिला, ब्लॉक व मंडल पदाधिकारियों में 50 प्रतिशत पदाधिकारियों की आयु 50 वर्ष से कम होगी।
– राष्ट्रीय, प्रदेश, जिला, ब्लॉक व मंडल संगठनों की इकाइयों में दलितों, आदिवासियों, पिछड़ों, अल्पसंख्यकों और महिलाओं को ज्यादा प्रतिनिधित्व मिलेगा।
– संगठन में ‘एक व्यक्ति, एक पद’ का सिद्धांत लागू होगा।
– ‘एक परिवार, एक टिकट’ का नियम भी लागू होगा।
– यदि किसी के परिवार में दूसरा सदस्य राजनीतिक तौर से सक्रिय है तो पांच साल के संगठनात्मक अनुभव के बाद ही वह व्यक्ति कांग्रेस टिकट के लिए पात्र माना जाएगा।
– उत्तर-पूर्व के प्रांतों के लिए गठित की गई ‘नॉर्थ ईस्ट को-ऑर्डिनेशन कमेटी’ के अध्यक्ष को CWC का आमंत्रित सदस्य बनाया जाएगा।
– CWC सदस्यों में से कांग्रेस अध्यक्ष की ओर से एक समूह का गठन किया जायेगा। यह समूह समय-समय पर जरूरी और महत्वपूर्ण राजनैतिक विषयों पर निर्णय लेने के लिये कांग्रेस अध्यक्ष को सुझाव देगा।
– हर राज्य के स्तर पर विभिन्न विषयों पर चर्चा करने और निर्णय के लिये एक ‘पॉलिटिकल अफेयर्स कमेटी’ का गठन होगा।
– अखिल भारतीय कांग्रेस कमेटी और प्रदेश कांग्रेस कमिटियों का सत्र साल में एक बार अवश्य होगा।
– जिला, ब्लॉक और मंडल कमेटियों की बैठक नियमित रूप से होगी।
– आजादी के 75 वर्ष पूरे होने पर हर जिला स्तर पर 9 अगस्त से 75 किलोमीटर लंबी पदयात्रा शुरू होगी।
– मीडिया व संचार विभाग के अधिकार क्षेत्र, कार्यक्षेत्र और ढांचे में बदलाव होगा।
– मीडिया, सोशल मीडिया, डाटा, रिसर्च, विचार विभाग आदि को संचार विभाग से जोड़ एक्सपर्ट्स की मदद से और प्रभावी बनाया जाएगा।