बाड़मेर में एक कार्यक्रम के दौरान योग गुरु स्वामी रामदेव ने बोले- मुसलमान सुबह की नमाज अदा करते हैं। उसके बाद उनसे पूछें कि आपका धर्म क्या कहता है? सिर्फ पांच बार नमाज पढ़ो, उसके बाद जो मन में आए वही करें। हिन्दुओं की लड़कियों को उठाओ और जो पाप करना है करो।
मुस्लिम समाज के कई लोग ऐसा करते हैं, लेकिन नमाज जरूर पढ़ते हैं। वे खुद को आतंकवादी और अपराधी बनकर खड़े हो जाते हैं, लेकिन नमाज जरूर पढ़ते हैं। वो इस्लाम का मतलब नमाज ही समझते हैं। यही सिखाया जाता है, लेकिन हिंदू धर्म में ऐसा नहीं है।
इसके बाद रामदेव ने ईसाई धर्म पर बात की। उन्होंने कहा- चर्च में जाकर दिन में भी मोमबत्ती जलाकर ईसा मसीह के सामने खड़े हो जाओ। सारे पाप धुल जाते हैं। ईसाई समाज यही सिखाता है, लेकिन हिंदू धर्म में ऐसा नहीं है।
स्वामी रामदेव ने कहा- उनके जन्नत का मतलब है कि टखने के ऊपर पायजामा पहनो, मूंछें कटवा लो और टोपी पहन लो, कुरान ऐसा कहता है या इस्लाम कहता है? मैं यह नहीं कह रहा हूँ। फिर भी ये लोग ऐसा कर रहे हैं। फिर कहते हैं कि जन्नत में हमारा स्थान पक्का हो गया है। जन्नत में हूरें मिलेंगी। ऐसी जन्नत तो जहन्नुम से भी बेकार है। यह सिर्फ पागलपन है। पूरे जमात को इस्लाम में तबदील करना है, वे इसी चक्कर में पड़े हुए हैं।
रामदेव ने कहा- मैं किसी की आलोचना नहीं कर रहा, लेकिन लोग चक्कर में पड़े हैं। कुछ कहते हैं कि हम पूरी दुनिया को इस्लाम में बदल देंगे। कोई कहते हैं सारी दुनिया को ईसाई बना देंगे, लेकिन तबदील करके क्या करेंगे? मुझे यह बताओ। इनका कोई एजेंडा नहीं है।
सनातन धर्म का एजेंडा है। सुबह ब्रह्म मुहूर्त में उठो। उठो और भगवान का नाम जपो, फिर योग करो। अपनी आराध्य की पूजा करके अच्छे कर्म करो। यही हमें हिन्दू धर्म और सनातन सिखाता है। जीवन को अच्छे से कैसे जिया जाए? सात्विक जीवन कैसे जियें? हमारे व्यवहार में, हमारे कार्यों में सात्विकता होनी चाहिए।
रामदेव ने कहा- भगवान ने एक मनुष्य जाति बनाई है। हम सब एक ईश्वर की संतान हैं। हम सब एक ही पुरखों की, एक ही धरती माता की संतान हैं। हम सबका डीएनए एक ही है। सबने परखा और देखा है। ब्राह्मण, क्षत्रिय, जाट, राजपूत मनुष्य द्वारा बनाए गए वर्ग हैं। अब एक ही संकल्प करके आगे बढ़ो, तुम एक ही ईश्वर की सन्तान हो। सभी समान, सभी महान, ऊंच-नीच का कोई भेद नहीं। हम सबको मिलकर रहना है।