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आधुनिक विश्व में कैंसर एक ऐसी बीमारी है जिससे सबसे ज्यादा लोगों की मृत्यु होती है। इसी बात को ध्यान में रखते हुए दुनियाभर में 4 फरवरी को विश्व कैंसर दिवस मनाया जाता है। कैंसर अधिकतर धूम्रपान या तंबाकू चबाने से होता है। तंबाकू इतना जानलेवा है कि इसका इस्तेमाल करने वाले आधे से ज्यादा लोग इससे होने वाली परेशानियों के चलते अपनी जिंदगी से जंग हार जाते हैं। विभिन्न देशों की अलग-अलग सरकारों के तमाम प्रयासों के बावजूद कैंसर के मरीजों की संख्या में कोई कमी नहीं आ रही है। यही वजह है कि विश्व में इस बीमारी की चपेट में सबसे अधिक मरीज हैं। यही कारण है कि विश्व स्वास्थ्य संगठन ने हर साल 4 फरवरी को विश्व कैंसर दिवस की तरह मनाने का निर्णय लिया ताकि लोगों को इस भयानक बीमारी कैंसर से होने वाले नुकसान के बारे में बताया जा सकें और लोगों को अधिक से अधिक जागरूक किया जा सकें।

विश्व कैंसर दिवस के इतिहास के बारे में बात करें तो 1933 में अंतर्राष्ट्रीय कैंसर नियंत्रण संघ ने स्विट्जरलैंड में जिनेवा में पहली बार विश्व कैंसर दिवस मनाया। यह दिवस कैंसर के बारे में जागरूकता बढ़ाने, लोगों को शिक्षित करने, इस रोग के खिलाफ कार्रवाई करने के लिए दुनिया भर में सरकारों और व्यक्तियों को समझाने तथा हर साल लाखों लोगों को मरने से बचाने के लिए मनाया गया था। लेकिन इसकी सही शुरुआत 2005 से हुई और तब से यह दिवस विश्व में कैंसर के प्रति निरंतर जागरुकता फैला रहा है। भारत में भी इस दिन सभी स्वास्थ्य संगठनों द्वारा कैंसर जैसी घातक बीमारी के प्रति जागरुकता फैलाई जाती है।

कैंसर से होने वाली मौतों पर गौर करें तो वर्तमान में दुनियाभर में हर साल करीब 76 लाख लोग कैंसर से दम तोड़ते हैं। इनमें 40 लाख संख्या समय से पहले (30-69 वर्ष आयु वर्ग) मरने वालों की है। बात करें भारत की तो देश में हर तीन में से एक व्यस्क धूम्रपान करता है। भारत में 275 मिलियन लोग तंबाकू का सेवन करते हैं। इनमें से ज्यादातर व्यस्क हैं। इस संख्या में पुरूष एवं महिला दोनों शामिल हैं। यहां हर एक मिनट में 2 लोग तंबाकू सेवन से मरते हैं। एक अनुमान के अनुसार, हर साल साढ़े 9 लाख से ज्यादा लोग धूम्रपान जबकि दो लाख लोग तंबाकू चबाने या इसके अलग-अलग रूपों में सेवन से होने वाले कैंसर से मरते हैं। यह केवल अनुमान है लेकिन अनुमानित आंकड़े भी दिन प्रतिदिन बढ़ते जा रहे हैं।

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कैंसर एक ऐसी बीमारी है जिसका इलाज तो अभी तक मुमकिन नहीं हो पाया है पर इसे काबू करना और इससे बचाव संभव है। वैसे कैंसर हो जाने पर इससे छुटकारा पाना मुश्किल होता है पर नामुमकिन नहीं। मरीज़ अगर दृढ़ इच्छाशक्ति से इस बीमारी का सामना करे और सही समय पर इलाज मुहैया हो तो इलाज संभव हो जाता है। साथ ही हमेशा से माना जाता है कि उपचार से बेहतर है बचाव। कैंसर से बचने के लिए तंबाकू एवं ध्रूमपान से दूर रहें और अपनी दिनचर्या को स्वस्थ बनाए। विश्व कैंसर दिवस पर आप सभी से यही अपील की जाती है कि आप खुद अपने आपको और अपने सगे सबंधियों को तंबाकू, सिगरेट, शराब आदि से दूर रहने की सलाह दीजिए ताकि देश के साथ विश्वभर कैंसर मुक्त दुनिया की ओर अग्रसर हो सके।