मर्दों के क्रिकेट के शोर में डूबे हुए इस देश को कौन बताए? इसकी एक बेटी विश्व चैंपियन दुती चंद 100 मीटर फ़र्राटा दौड़ में पूरे विश्व को झकझोर आई है। सोचिए 100 मीटर फ़र्राटा। जिस देश में मर्द धावक जब तक पैरों की एड़ियां सही करते हैं, जमैका का उसैन बोल्ट 100 मीटर की दौड़ का एक चौथाई हिस्सा पार कर चूका होता है। वहां ऐसी उपलब्धि के आगे सौ क्रिकेट वर्ल्ड कप किनारे कर दिए जाएं तो भी बराबरी न होगी! हम यहाँ ना तो भारत के मर्दों की मर्दानगी पर सवाल उठा रहा हूँ और ना ही देश के मर्द खिलाडियों का मनोबल गिराने की जुर्रत कर रहे हैं। लेकिन जिस तरह हम क्रिकेट के आलावा दूसरे खेलों की उपेक्षा करते हैं। तो ये बात हमे हजम नहीं होती।
हमारे देश में क्रिकेट को इतना बड़ा बना दिया है कि आज यहाँ क्रिकेट को किसी धर्म से कम नहीं आंका जाता और क्रिकेट खेलने वालों को भगवान से कम नहीं। और हम इन भगवानों को एक साल इतना चढ़ावा चढ़ा देते जितना तो तिरुपति बालाजी, सिरड़ी साईं, केदारनाथ और बद्रिनाथ में भी नहीं आता होगा।
क्रिकेट कमेंट्री के निचे दब गयी विश्व चैंपियन दुती चंद की जीत
जब से इटली के नेपल्स में आयोजित वर्ल्ड यूनिवर्सिटी चैंपियनशिप में उड़ीसा की दुती चंद के 100 मीटर फ़र्राटा जीतने की ख़बर सुनी है, तभी से सोच रहा हूं कि धोनी, विराट और भारत रत्न सचिन के ग्लैमराइजेशन के इस दौर में दुती चंद होने के मायने क्या हैं? क्या दुतीचंद की जीत पर देश के किसी भी हिस्से में खुशी से बौराए लोगों के तिरंगा लेकर दौड़ने की ख़बर देखी या सुनी? क्या मीडिया में भारत और अफगानिस्तान के लीग मैच की तुलना में दुतीचंद की इस उपलब्धि की 0.0001 प्रतिशत भी कवरेज दिखी क्या?
वो तो गनीमत है कि प्रधानमंत्री और राष्ट्रपति ने दुती चंद को ट्वीट कर अपनी खुशी और शुभकामना ज़ाहिर की। वरना देश के राजनीतिज्ञों की 90 फीसदी फौज तो ये भी नही जानती होगी कि दुती चंद हैं कौन? 11.24 सेकंड का राष्ट्रीय रिकार्ड रखने वाली दुती चंद किसी भी विश्व स्तरीय चैंपियनशिप में 100 मीटर फर्राटा गोल्ड जीतने वाली हिंदुस्तान की पहली महिला बन गई हैं। वर्ल्ड यूनिवर्सिटी गेम्स को ओलंपिक के बाद दुनिया का सबसे बड़ा टूर्नामेंट माना जाता है जहां तक़रीबन 150 देशों के खिलाड़ी भाग लेते हैं। अपनी जीत की तस्वीर के साथ उन्होंने एक बेहद ही भावुक ट्वीट किया –
Pull me down, I will come back stronger! pic.twitter.com/PHO86ZrExl
— Dutee Chand (@DuteeChand) July 9, 2019
मुझे नीचे खींचो, मैं और भी मजबूती से वापसी करूंगी – विश्व चैंपियन दुती चंद
विश्व चैंपियन दुती चंद ने जो वापसी की कोई और नहीं कर सकता
वाकई जो वापसी विश्व चैंपियन दुती चंद ने की है, ऐसी वापसी कोई धोनी, युवराज, सचिन या रैना कभी नही कर पाएगा। क्रिकेट के पगलाए हुए ग्लैमराइजेशन के उस दौर में जहां हैमस्ट्रिंग में चोट या फिर मांसपेशियां खिंचने के चलते क्रिकेट से दूर होकर फिर वापसी करने वाले क्रिकेटर के पराक्रम का सम्राट अशोक और महाराणा प्रताप के शौर्य जैसा बखान किया जाता है, किसी दुती चंद या फिर किसी मैरी कॉम की वापसी को गिनता ही कौन है?
ओडिसा के एक गरीब, बुनकर परिवार की इस लड़की को किसने नीचे खींचा? कैसे उनका मनोबल तोड़ने के कुचक्र रचे गए? ये सब का सब इतिहास के पन्नों पर है। गूगल के चमकदार पन्नों पर कैद एक औरत पर थोपे गए सामाजिक कारावास का ये काला इतिहास आज चटक चटक कर टूट रहा है। हैरानी तो देखिए, वर्ल्ड कप सेमीफाइनल के पागलपन में डूबे इस देश को पता ही नही कि विश्व मनीषा की चौखट पर भारतीय आन बान और शान का फाइनल मैच कब का पूरा हो चुका है। और उस विश्व विजेता का नाम है दुती चंद! आइए अपनी-अपनी जड़ता के ठहराव को तोड़कर थोड़ा दूर हम भी दौड़ें और दिल से सलाम करें भारतीयता के विश्व गर्व की इस विश्व नायिका को!!
लोगों ने दुती चंद के ख़िलाफ़ क्या षड्यंत्र रचे
विश्व चैंपियन दुती चंद को 2014 में एशियन गेम्स में भाग लेने से रोक दिया गया था। अंतरराष्ट्रीय एथलेटिक्स संघ ने इसके लिए जेंडर प्रॉब्लम को ज़िम्मेदार बताया। उनके शरीर में टेस्टोस्टेरोन (मर्दाना हारमोन) का स्तर आम लड़कियों से ज्यादा पाया गया था। जब देश-विदेश में काफ़ी हो-हल्ला हुआ था। लोग दबी ज़ुबान में चर्चा करने लगे कि ये लड़की है या लड़का। तब ऐसा लगा कि इनका एथलीट करियर खेल खत्म हो जायेगा। अब ये कभी नहीं दौड़ पाएंगी। पर दुती चंद ने हार नहीं मानी। वे इसके ख़िलाफ़ स्पोर्ट्स के मामलों की सुनवाई करने वाली अंतरराष्ट्रीय अदालत में गयी। जहाँ फ़ैसला उनके पक्ष में आया। उन्हें अपना करियर बनाने की आज़ादी मिली। फिर वो दौड़ीं, ऐसा दौड़ीं कि दौड़ती गयी…! दौड़ती गयी…! और दौड़ते दौड़ते वहां पहुंची जहाँ विश्व चैम्पियन विश्व चैंपियनशिप के गोल्ड मैडल का ख़िताब उनका इंतज़ार कर रहा था।