आज विश्व रक्तदान दिवस है। भारत ही नहीं पूरे विश्वभर में रक्तदान दिवस मनाया जा रहा है और जगह-जगह रक्तदान शिविर के माध्यम से कोशिश की जा रही है कि दान किए गए खून से किसी के जीवन की डोर को बचाया जा सके। असल में यह दिवस विख्यात ऑस्ट्रियाई जीवविज्ञानी और भौतिकीविद कार्ल लेण्डस्टाइनर के जन्म दिन के तौर पर मनाया जाता है।
इस खास दिवस पर मुख्यमंत्री वसुन्धरा राजे ने सभी प्रदेशवासियों से स्वैच्छिक रक्तदान जैसे पुण्यकार्य करने और रक्तदान को लेकर भ्रांतियों को दूर करने के लिए आगे आने का आव्हान किया है।
आइए, विश्व रक्तदान दिवस के अवसर पर हम सब मिलकर अधिकाधिक लोगों को स्वैच्छिक रक्तदान जैसे पुण्यकार्य के लिए प्रोत्साहित करने का दृढ़ संकल्प लें तथा समाज में रक्तदान को लेकर व्याप्त भ्रांति को दूर करने में अहम योगदान दें।#WorldBloodDonorDay pic.twitter.com/WFqg0IwFkQ
— Vasundhara Raje (@VasundharaBJP) June 14, 2018
वर्ष 1930 में शरीर विज्ञान में नोबेल पुरस्कार से सम्मानित कार्ल ने अलग-अलग ब्लड ग्रुप में रक्त समूहों को विभाजित कर चिकित्साविज्ञान में अहम योगदान दिया था। उसके बाद 1997 में विश्व स्वास्थ्य संगठन ने 100 फीसदी स्वैच्छिक रक्तदान नीति की नींव डाली और लोगों को रक्तदान की मुहिम में शामिल करने के लिए 2004 से प्रत्येक 14 जून को विश्व रक्तदान दिवस के तौर पर मनाने का फैसला किया गया।
देश में हर दिन करीब 38000 लोगों को रक्त की जरूरत पड़ती है और करीब 12000 लोगों की खून की कमी के कारण जान चली जाती है। यही वजह है कि रक्तदान को महादान की संज्ञा दी जाती है।
गौर रखें…
- हमारे राज्य और देश में रक्तदान करने को लेकर कई प्रकार की भ्रांतियां जुड़ी हुई है लेकिन ज्यादातर गलत है।
- यह सत्य है कि रक्तदान करने से शरीर में कोई कमी नहीं आती और न ही कोई कमजोरी।
- अगर किसी को कोई कमजोरी महसूस होती भी है तो यह केवल कुछ मिनटों के लिए होती है।
- कोई भी स्वस्थ व्यक्ति हर तीसरे महीने रक्तदान कर सकता है।
- रक्तदान करने से ब्लड सरक्यूलेशन भी ठीक बना रहता है और पुराने खून की जगह नया रक्त बनने लगता है।
- ध्यान रखें कि आपके खून की कुछ बूंदें किसी जरूरतमंद की सांसों को थमने से रोक सकती हैं।
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