राजस्थान में अलवर जिले के थानागाजी में ऐसी शर्मनाक घटना सामने आई है, जिसके बाद गहलोत सरकार और पुलिस प्रशासन की कार्यशैली पर सवाल उठाना लाजिमी है। दरअसल अलवर में पांच युवकों द्वारा पति के सामने दलित महिला से सामूहिक बलात्कार का सनसेनीखेज मामला सामने आया है। मानवता को शर्मसार करने वाली इस घटना के जिम्मेदार जितने बदमाश है, उससे कहीं ज्यादा जिम्मेदार पुलिस भी है। क्योंकि पुलिस प्रशासन ने चुनाव के चलते इस मामले को 4 दिन तक दबाए रखा और अपराधियों को ढूंढने के लिए कोई प्रयास नहीं किए।
गैंगरेप के बाद बदमाशों ने अश्लील फोटो और वीडियो बनाकर सोशल मीडिया पर वायरल कर दिया। इतना ही नहीं दम्पती को जान से मारने की धमकी भी दी गई। इस मामले के बाद से परिवार सदमे में है। गैंगरेप का यह मामला 26 अप्रैल का बताया जा रहा है, जिसकी रिपोर्ट पीड़ित ने 2 मई को दर्ज करवाई थी। जानकारी के मुताबिक नवविवाहित जोड़ा थानागाजी बाइपास से कहीं जा रहे थे। इसी दौरान कलाखोरा गांव के पास दो बाइकों पर सवार पांच युवकों ने उनका रास्ता रोकर पति-पत्नी के साथ मारपीट की और गैंगरेप की वारदात को अंजाम दिया। घटना के बाद पीड़ित जोड़े ने डर के कारण इस मामले की सूचना किसी को नहीं दी, लेकिन बाद में पुलिस को जब मामले की जानकारी दी तो उन्होंने इस मामले को ठंडे बस्ते में ही डाल दिया।
4 दिन तक पुलिस ने कोई सख्त कार्रवाई करने की बजाय मामले को दबाए रखा और आरोपितों के खिलाफ कोई कदम तक नहीं उठाया। इसी बीच बदमाशों ने वीडियो को सोशल मीडिया पर वायरल भी कर दिया। अगर पुलिस पहले ही कार्यवाही करती तो आरोपितों को वीडियो वायरल करने से पहले ही पकड़ा जा सकता था। गैंगरेप की घटना के बाद पूरे प्रदेश में गहलोत सरकार के खिलाफ भयंकर रोष है। इस शर्मनाक घटना के बाद पुलिस की कार्यप्रणाली पर सबसे बड़ा सवाल यही है कि चुनाव के कारण घटना को उजागर नहीं करना कहीं किसी पार्टी या प्रत्याशी विशेष को सियासी फायदा देना तो नहीं था ?