बिजली कनेक्टिविटी को लेकर राजस्थान को बड़ा फायदा होने वाला है। अब राज्य के लोगों को बिजली कटौती से राहत मिलेगी। वजह यह है कि प्रदेश के कई जिले देश के सबसे महत्वाकांक्षी प्रोजेक्ट में से एक ग्रीन एनर्जी कॉरिडोर से जुड़ने जा रहे हैं। गुजरात के बनास काठा से पंजाब के मोगा तक बन रहे ग्रीन एनर्जी कॉरिडोर से राज्य के कई जिलों को जोड़ा जा रहा है। तकरीबन 1500 किलोमीटर लंबे इस कॉरिडोर से राजस्थान के चित्तौडगढ़, अजमेर, नागौर, जोधपुर, बीकानेर आदि जिले जुड़ेंगे। इस कॉरिडोर के लिए 765 केवी की विद्युत लाइन डाली जा रही है। कॉरिडोर से छह हजार मेगावाट तक बिजली का आदान-प्रदान किया जा सकेगा। 765 केवी लाइन का राजस्थान में यह पहला कॉरिडोर होगा। इससे पहले राजस्थान में सबसे बड़ी विद्युत लाइन भाखड़ा 740 केवी थी। इस प्रोजेक्ट के पूरा हो जाने के बाद बीकानेर सहित प्रदेश के कई जिलों को 400 केवी बिजली की कनेक्टिविटी मिलने लगेगी।
सब स्टेशन पर होंगे 2 हजार करोड़ खर्च: चार सब स्टेशन बनने शुरू हो गए हैं। यह कॉरिडोर अगले साल यानि अगस्त-2018 तक बनकर तैयार होगा। भारत सरकार का उपक्रम पीजीसीआईएल ग्रीन एनर्जी कॉरिडोर प्रोजेक्ट और भड़ला सोलर पावर प्रोजेक्ट से उर्जा की निकासी के लिए 765 केवी की लाइन और सब स्टेशन बना रहा है। इस पर करीब दो हजार करोड़ रुपए खर्च होने का अनुमान है। पीजीसीआईएल के जनरल डिप्टी मैनेजर आलोक दुबे के अनुसार भारत सरकार की एनर्जी मिनिस्ट्री ने भविष्य की प्लानिंग को देखते हुए पीजीसीआईएल को यह काम सौंपा है। गुजरात से पंजाब के मोगा तक ग्रीन एनर्जी कॉरिडोर बनने के बाद बीकानेर, चित्तौडगढ़ और अजमेर आदि जिलों में बिजली की कमी नहीं रहेगी।
जोधपुर के भड़ला में बन रहा सोलर पार्क: फलौदी तहसील के भड़ला में गुजरात के बनास काठा की तर्ज पर ही सोलर पार्क बन रहा है। जिससे कई कंपनियां को सोलर एनर्जी में निवेश करने का मौका मिलेगा। प्रदेश में सोलर एनर्जी की अनुकूलता को देखते हुए निवेशक यहां निवेश करना चाहेंगे। कॉरिडोर को भड़ला सोलर पार्क से जोड़ा गया है। दोनों स्थानों से बिजली 765 केवी की लाइन मोगा में पावर ग्रिड के सब स्टेशन से जुड़ जाएगी। जहां सेंट्रल पावर ग्रिड से बिजली उत्तर भारत में सप्लाई की जाती है।
जैसलमेर में भी बनेगा सोलर एनर्जी पार्क: जोधपुर के भड़ला के साथ-साथ जैसलमेर के फतेहगढ़ में भी सोलर एनर्जी पार्क की बनने जा रहा है। इसके लिए सर्वे का काम पूरा हो चुका है। यहां एक निजी कंपनी विद्युत उत्पादन करेगी। इसे भी भड़ला में 765 केवी की लाइन से जोड़ा जाएगा। साथ ही बीकानेर में भी एक प्राइवेट कंपनी सोलर पार्क लगाने की कोशिश में जुटी है। अगर जोधपुर, जैसलमेर और बीकानेर जिलों में सोलर एनर्जी पार्क बन जाएंगे तो आने वाले समय में यहां बिजली की कोई कमी नहीं होगी।
क्या है ग्रीन एनर्जी कॉरिडोर प्रोजेक्ट: केंद्र सरकार ने 2013 में 43,000 करोड़ के ग्रीन एनर्जी कॉरिडोर प्रोग्राम की घोषणा की थी। यह प्रोजेक्ट दो भागों में बांटा गया है। इंटर स्टेट संबंधित राज्य की ओर से डवलप होगा वहीं इंटरा स्टेट प्रोजेक्ट को पीजीसीआईएल डवलप करेगी। इस प्रोजेक्ट में जर्मनी भारत की मदद कर रहा है। इस प्रोजेक्ट के लिए जर्मनी डवलपमेंटल और टेक्निकल सहायता के लिए 1 बिलियन यूरो की मदद देगा। इस प्रोजेक्ट के तहत अक्षय स्त्रातों से प्राप्त बिजली को पारंपरिक बिजली स्टेशन सौर ऊर्जा, पवन ऊर्जा में सिंकोनाइज किया जाना है।