पिछली वसुंधरा सरकार के दौरान राजस्थान में चर्चित रहे गेहूं घोटाले की आरोपी आईएएस अफसर निर्मला मीणा को गहलोत सरकार ने फिर से सेवा में बहाल कर दिया है। कार्मिक विभाग की तरफ से जारी आदेश में निर्मला मीणा का निलंबन रद्द कर दिया है। आरोपी निर्मला मीणा पर जोधपुर में जिला रसद अधिकारी के पद पर रहते हुए अपने कार्यकाल में 35 हजार क्विंटल गेहूं के गबन का आरोप है।
सुप्रीम कोर्ट से अग्रिम जमानत याचिका खारिज होने पर किया था सरेंडर
आरोपी निर्मला मीणा ने पिछले साल मई में एसीबी के समक्ष सरेंडर किया था। सरेंडर से पहले वे भूमिगत थी और सेशन कोर्ट, हाईकोर्ट व सुप्रीम कोर्ट में अग्रिम जमानत याचिका लगा रखी थी। लेकिन सभी कोर्ट से याचिका खारिज होने पर निर्मला के सामने सरेंडर करने के अलावा और कोई उपाय नहीं बचा था। मीणा ने इस मामले से बचने के लिए एसीबी के सामने कई प्रयास किए, लेकिन उन्हें सफलता नहीं मिली। हालांकि उन्हें एक साल पहले ही यानी जुलाई 2018 में ही हाईकोर्ट से जमानत मिल गई। कोर्ट ने निर्मला को 50 हजार रु के मुचलके पर जमानत दी थी।
फर्जी नाम-पतों से आटा मिलों के मालिक को बेचा था गेहूं
एसीबी की जांच के मुताबिक तत्कालीन जिला रसद अधिकारी निर्मला मीणा ने मार्च, 2016 में 33 हजार परिवार नए जोड़े थे और आला अधिकारियों भेजी गई रिपोर्ट में गलत जानकारी देकर उन्होंने 35 हजार 20 क्विंटल गेहूं अतिरिक्त मंगवा लिया। मीणा ने नए परिवार फर्जी नामों से जोड़े और इनके हिस्से के गेंहू को आटा मिल मालिकों सुरेश उपाध्याय और स्वरूप सिंह के पास भिजवा दिया गया था। फिलहाल इस मामले की जांच एसीबी कर रही है।