नई दिल्ली। राजस्थान में लगातार दूसरे दिन मौसम ने कहर बरपाया। अंधड़ से बीकानेर, चूरू, अलवर, अजमेर, जैसलमेर, बाड़मेर, झुंझुनूं, जयपुर सहित कई जिलाें में गेहूं, चना, सरसाें सहित अन्य फसलें चौपट हो गईं। सरकार को मिली प्रारंभिक रिपोर्ट में 7 जिलों में फसलों को ज्यादा नुकसान बताया गया है। अभी कई जिलों से रिपोर्ट आना बाकी है। मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने राजस्व विभाग के अफसरों को ओलावृष्टि, आंधी-तूफान से फसलों को हुए नुकसान का आकलन करने के लिए विशेष गिरदावरी (आकलन) करवाकर प्रभावितों को जल्द राहत देने के निर्देश दिए हैं।
पटवारियों ने कर रहा है 20 हजार गांवों में काम का बहिष्कार
प्रदेश के कई जिलों में आंधी-तूफान और ओलावृष्टि से फसलों को भारी नुकसान हुआ है। मुख्यमंत्री ने बैठक करके निर्देश तो दे दिए लेकिन जमीनी स्तर पर इनकी पालना करने वाले पटवारियों ने 15 जनवरी से करीब 20 हजार गांवों में काम का बहिष्कार कर रखा है। पटवारी खुद के पटवार मंडल का काम तो कर रहे हैं लेकिन अतिरिक्त चार्ज वाले 5000 पटवार मंडलों का काम नहीं कर रहे हैं। एक पटवार मंडल में 4 से 5 गांव आते हैं। दो माह से ज्यादा समय से अतिरिक्त चार्ज वाले गांवों में गिरदावरी भी अटकी हुई है। नुकसान के आंकलन के लिए विशेष गिरदावरी समय पर नहीं हुई तो किसानों को मुआवजा नहीं मिलेगा।
अतिरिक्त चार्ज वाले पटवार मंडलों का काम नहीं कर रहे हैं
पटवारी हड़ताल के कारण इस बार एक फरवरी से होने वाली रबी की रूटीन गिरदावरी भी समय पर नहीं हो सकी। अब फसल खराब के लिए विशेष गिरदावरी के आदेश दिए हैं। पटवारी हड़ताल के चलते राजस्व विभाग के दूसरे कर्मचारियों को काम में लगाने का फैसला किया है। लेकिन गांवों की संख्या को देखते हुए वह अपर्याप्त साबित हो रही है। पटवारियों के कार्यबहिष्कार की वजह से रूटीन गिरदावरी ही नहीं हुई। पटवार संघ के प्रदेशाध्यक्ष राजेंद्र कुमार ननीवाल का कहना है कि हम हमारे पटवार मंडल का तो काम कर रहे हैं लेकिन अतिरिक्त चार्ज वाले पटवार मंडलों का काम नहीं कर रहे हैं। हमारे 3600 ग्रेड पे की मांग पूरी होने तक यह बहिष्कार जारी रहेगा।
किसानों का मुआवजा अटकेगा
पटवारियों के कार्य बहिष्कार का सबसे ज्यादा नुकसान अब किसान को होता दिख रहा है। आपदा राहत कोष के नियमों में प्राकृतिक आपदा से फसल खराब होने पर किसानों को मुआवजा दिया जाता है। उस मुआवजे के लिए पहले गिरदावरी की रिपोर्ट जरूरी होती है। पटवारी ही गिरदावरी करके रिपोर्ट तहसीलदार को देते हैं। तहसीलदार कलेक्टर को रिपोर्ट भेजते हैं। कलेक्टर रिपोर्ट आपदा प्रबंधन को भेजते हैं।