राजस्थान की 15वीं विधानसभा के लिए चुनाव 7 दिसम्बर को यानि कल आयोजित होने जा रहे हैं। इन चुनावों में प्रदेश के 4 करोड़ 77 लाख 89 हजार 815 हजार मतदाता उस दिन अपने मत का इस्तेमाल करेंगे। इनमें 2.47 लाख पुरुष एवं 2.27 लाख महिला मतदाता शामिल हैं। इनमें 20 लाख 20 हजार 156 वह मतदाता भी हैं जो पहली बार अपने मत का इस्तेमाल करेंगे। इस बार के चुनावों में निर्वाचन आयोग पहली बार ईवीएम (वोटिंग मशीन) के साथ वीवीपैट मशीन का प्रयोग करने जा रहा है। यह अपनी तरह का पहला प्रयोग है जो न केवल मतदान में होने वाली धांधली की संभावना को समाप्त करेगा, बल्कि इससे वोटिंग में पारदर्शिता भी होगी।
अगर वीवीपैट मशीन को किसी भी तरह से हैक करने की या इसमें गड़गड़ी करने की कोशिश की गई तो पूरी कार्यप्रणाली ठप पड़ जाएगी और मशीन रुक जाएगी।
अब समस्या यह है कि ईवीएम के साथ वीवीपैट मशीन का इस्तेमाल कैसे होगा। वीवीपैट के बारे में काफी सारी अफवाहें भी बाजार में फैल रही हैं लेकिन घबराने की कोई बात नहीं। असल में यह एक उन्नत प्रणाली एम-3 ईवीएम है जिसमें इसमें वन टाइम प्रोग्रामिंग होती है। बैलेट यूनिट और कंट्रोल युनिट को वीवीपैट मशीन से जोड़ा जाता है। अब जैसे ही वोट देने के लिए बैलेट यूनिट का बटन दबाया जाता है तो लंबी बीप के बाद कंट्रोल यूनिट में वोट रजिस्टर्ड हो जाएगा। इसके बाद वीवीपैट मशीन के एक पर्ची दिखाई देगी जिसमें आपका वोट किसको गया, उसका चुनाव चिन्ह दिख जाता है। 7 सैकेंड बाद पर्ची मशीन से कट कर नीचे गिर जाएगी। याद रहे कि यह पर्ची आपको नहीं मिलती है। इसका मतलब यह है कि आपका वोट रजिस्टर्ड हो गया है।
वीवीपैट के आने के बाद इस बार चुनाव में 1 वोट में औसतन 45 सैकेंड का समय लग सकता है। सुविधा की दृष्टि से भी इसे सुढृढ़ किया गया है। अगर मशीन को किसी भी तरह से हैक करने की कोशिश की गई तो पूरी कार्यप्रणाली ठप पड़ जाएगी और मशीन रुक जाएगी।
विधानसभा चुनावों के लिए प्रदेशभर में 51,687 बूथ के साथ 209 आदर्श मतदान केन्द्र बनाए गए हैं जिससे मतदाता वोटिंग की ओर आकर्षित हो सकें। राज्य में 259 मतदान केन्द्र ऐसे भी हैं जिनमें मतदाता के साथ सुरक्षा एवं अन्य सभी व्यवस्थाओं के लिए केवल महिलाओं की नियुक्ति की गई है।
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