जयपुर। प्रदेश में अगले साल होने वाले पंयायत आम चुनाव को लेकर बीजेपी तैयारियों में जुट गई हैं। हालांकि अभी तक सूबे की पूर्व मुख्यमंत्री वसुंधरा राजे की भूमिका स्पष्ट नहीं है। मौजूदा समय में बीजेपी के पास ऐसा कोई नेता नहीं है जो पूरे प्रदेश में प्रभाव रखता हो। इसी कारण है कि शहरों से सत्ता तो बीजेपी के हाथ से निकल चुकी है। अब गांवों की सत्ता पर भी गहन चिंता का विषय बना हुआ है। माना जा रहा है बीजेपी ने जल्द ही आत्ममंथन नहीं किया तो यह उनके लिए काफी महंगा साबित हो सकता है।
वसुंधरा राजे के हाथों में ही है बीजेपी रथ की डोर
आपको बता दें कि विधानसभा चुनाव 2018 से पहले पूर्व सीएम राजे और बीजेपी अध्यक्ष अमित शाह के बीच रिश्तों को राजनीतिक चर्चाएं सामने आई थी। इसके बाद राजस्थान की प्रादेशिक सत्ता बीजेपी को हार का मुंह देखना पड़ा। इतना ही नहीं उपचुनाव और नगर निकाय चुनाव में भी बीजेपी कोई खास कमाल नहीं कर सकी। अब दो महीने बाद प्रदेश में पंचायतराज चुनाव हैं। पूर्व सीएम राजे की इसमें सियासी सक्रिता नहीं दिखी तो इन चुनावों में भी बीजेपी को हार से कोई नहीं बचा सकता।
फिलहाल, प्रदेश में पंचायत चुनाव को लेकर तैयारियां जारी हैं। इन चुनावों में सफलता हासिल करने के लिए बीजेपी और कांग्रेस अपनी-अपनी रणनीति बनाने में जुटी हुई है। दोनों ही पार्टियां इन चुनावों में कोई गलती नहीं करना चाहती क्योकि जरा-सी भी सियासी गलती बड़ा नुकसान कर सकती है।
कांग्रेस को घेरने के लिए बीजेपी ने बनाई ये रणनीति
स्थानीय निकाय चुनाव में अनुच्छेद 370 और राम मंदिर जैसे मुद्दों का ज्यादा लाभ नहीं मिलने के बाद अब राजस्थान में जनवरी-फरवरी में होने वाले पंचायत चुनाव में प्रतिपक्षी भाजपा स्थानीय मुद्दों पर ही जोर देगी। पार्टी ने किसानों की संपूर्ण कर्जमाफी, सभी बेरोजगारों को भत्ता और कानून व्यवस्था पर सरकार को घेरने की रणनीति बनाई है। दो दिन से पार्टी मुख्यालय पर पंचायत चुनाव की तैयारी के लिए बैठकों का दौर चल रहा है। पार्टी सूत्रों के अनुसार, मोटे तौर पर यही तय किया है पंचायत चुनाव में कांग्रेस सरकार के दस माह की विफलताओं को मुद्दा बनाया जाएगा। इसमें विशेष तौर पर किसानों की संपूर्ण कर्जमाफी और सभी बेरोजगारों को भत्ता देने के मुद्दे अहम रहेंगे। कांग्रेस ने हालांकि इन वादों को पूरा तो किया है, लेकिन कई शर्तें जोड़ दी हैं। भाजपा इसी को मुद्दा बनाएगी। इसके अलावा केंद्र सरकार की व्यक्तिगत लाभ की योजनाओं के आधार पर जनता से वोट मांगा जाएगा।