जयपुर। लोकसभा चुनाव के बाद कुछ दिन राजस्थान की राजनीति से दूर रहने वाली पूर्व मुख्यमंत्री वसुंधरा राजे अब फिर से जयपुर लौट आई हैं। राजे ने अपनी इस नई पारी की शुरुआत राजधानी के विद्याधर नगर स्टेडियम में आयोजित श्रीमद्भागवत कथा के भक्तिमय माहौल में उपस्थिति देकर की है। यहां सबसे पहले वें शुक्रवार को अनंतश्री विभूषित स्वामी अवधेशानंद गिरि महाराज के गीता उपदेशों को सुनते हुए नजर आई थीं। राजस्थान की आधुनिक मीरा के नाम से प्रसिद्ध वसुंधरा राजे की उपस्थिति ने जहां अन्य श्रोताओं का ध्यान तो खींचा ही, साथ ही उनके द्वारा जमीन बैठकर कथा सुनने की परंपरा को भी लोगों ने खूब सराहा।

पूरा पांडाल कुर्सियों पर, राजे ने जमीन पर बैठकर सुने उपदेश
कथा वाचन के दौरान जब राजे पांडाल में पहुंची तो काफी संख्या में मौजूद लोगों ने उनका स्वागत किया। यहां भारतीय जनता पार्टी के प्रदेशाध्यक्ष सतीश पूनीयां, वरिष्ठ नेता चन्द्रशेखर सहित कई दिग्गजों से मिलने के बाद वसुंधरा राजे को जब बैठने के लिए कहा गया तो उन्होंने सोफे की बजाय जमीन को ही अपना आसन बना लिया। इस दौरान पास में बैठे लोगों ने जब उनसे सोफे पर बैठने की गुजारिश की तो उन्होंने भगवान की भक्ति जमीन पर बैठकर करने की परंपरा दोहराते हुए ऊपर बैठने से इनकार कर दिया। हालांकि बाद में जूनापीठाधीश्वर अवधेशानंद गिरी महाराज भी उनके इस कदम की प्रशंसा करते नजर आये।


राजे ने लिखा – कर्म ही पूजा है

गीता उपदेश सुनने के बाद वसुंधरा राजे ने अपने ट्विवटर अकाउंट पर समारोह की जानकारी देते हुए लिखा कि आज विद्याधर नगर, जयपुर में आयोजित ‘श्रीमद्भागवत कथा’ का श्रवण किया। वहीं उन्होंने एक दूसरे ट्विट में गीता के सारांश को समर्पित श्लोक – “कर्मण्येवाधिकारस्ते मा फलेषु कदाचन। मा कर्मफलहेतुर्भुर्मा ते संगोऽस्त्वकर्मणि॥” लिखकर संसार में कर्म की महानता को चरितार्थ किया।

दो दिन बाद फिर पहुंची भागवत सुनने
सोमवार को वसुंधरा राजे एक बार फिर विद्याधर नगर स्टेडियम में कथा सुनते हुए नजर आईं। इस भक्तिमय माहौल के बीच राजे ने उसी अंदाज में जमीन पर बैठकर उपदेश सुनें तथा स्वामी अवधेशानंद गिरि महाराज का अभिवादन किया। हालांकि, विभिन्न धर्मों के ऐसे आयोजनों में राजनीतिक हस्तियों के आने-जाने का सिलसिला दशकों से जारी हैं, लेकिन वसुंधरा राजे के इस अंदाज का हर कोई कायल है।