गुर्जर आंदोलन की आहट के साथ ही राजस्थान सरकार सचेत हो गई है। इसी बीच राजस्थान की मुख्यमंत्री वसुंधरा राजे ने बुधवार को दो बड़े मुद्दों पर सरकार के प्रमुख मंत्रियों एवं उच्च स्तरीय अधिकारियों की बैठक ली। इसमें पहले गुर्जरों के आगामी 15 मई को प्रस्तावित आरक्षण आंदोलन के बारे में फीड बैक लिया गया। वहीं, दो अप्रेल को भारत बंद के दौरान एससी एवं एसटी वर्ग के लोगों के खिलाफ दर्ज प्रकरणों की समीक्षा के लिए एक कमेटी गठित करने पर विचार किया गया। वहीं, 2 अप्रैल 2018 को एसटी-एससी समाज द्वारा भारत बंद के मद्देनजर मुख्यमंत्री राजे से एससी समाज के लोगों ने भी मुलाकात की और आंदोलन के बाद उपजे हालातों के बारे में सीएम राजे को अवगत कराया। मुख्यमंत्री ने एससी समाज के लोगों की बात सुनी। साथ ही राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद के दौरे की तैयारियों की समीक्षा भी की।
मुख्यमंत्री ने गुर्जर आंदोलन को लेकर अधिकारियों से लिया अपडेट
मुख्यमंत्री वसुंधरा राजे ने बुधवार को दोपहर बाद अपने सरकारी निवास पर बैठक बुलाई। इसमें प्रदेश के गृहमंत्री गुलाब चंद कटारिया, ग्रामीण विकास एवं पंचायतीराज मंत्री राजेन्द्र राठौड़, परिवहन मंत्री युनूस खान, सामान्य प्रशासन एवं मोटर गैराज मंत्री हेमसिंह भडाना समेत प्रमुख विभागों के अधिकारी मौजूद थे। इस बैठक में मुख्यमंत्री ने राज्य सरकार के अधिकारियों से गुर्जरों के प्रस्तावित आंदोलन को लेकर जानकारी मांगी। गुर्जरों के 15 मई को बयाना के अड्डा गांव में बैठक को ध्यान में रखते हुए मुख्यमंत्री राजे ने मंत्रियों और आलाधिकारियों से अपडेट लिया। इस दौरान एसीएस दीपक उप्रेती, डीजीपी ओपी गल्होत्रा समेत गृह विभाग के कई बड़े अधिकारी मौजूद रहे। सीएम राजे ने गुर्जरों की हाल ही में हुई बैठक के मद्देनजर वर्तमान हालातों के बारे में अधिकारियों से विस्तार जानकारी ली।
कुल 754 प्रकरण किए गए थे दर्ज, अब ओबीसी आरक्षण में वर्गीकरण चाहते हैं गुर्जर
उल्लेखनीय है कि अब तक कई बार हुए गुर्जर आंदोलन के तहत कुल 754 प्रकरण दर्ज किए गए थे। इनमें से 364 प्रकरणों में पुलिस ने अनुसंधान के बाद एफआर लगा दी। वहीं, 358 प्रकरणों में कोर्ट चालान पेश कर दिया गया है। इन मामलों से 213 प्रकरण राज्य सरकार कोर्ट से विड्रो कर चुकी है। जबकि पुलिस अभी भी 32 मुकदमों में अनुसंधान कर रही है। वहीं, गुर्जर समाज अब ओबीसी आरक्षण में वर्गीकरण करने की मांग कर रहा है। राज्य सरकार अब तक चार बार गुर्जर समेत 5 जातियों को आरक्षण दे चुकी है लेकिन हर बार कोर्ट से आरक्षण निरस्त कर दिया गया। अब गुर्जर चाहते हैं कि राज्य सरकार उन्हें 50 प्रतिशत के भीतर ओबीसी का वर्गीकरण करते हुए आरक्षण दें, जिससे हर बार की तरह आरक्षण कोर्ट में आकर अटके नहीं।
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एससी/एसटी आंदोलन से जुड़े मामले वापस ले सकती है राज्य सरकार
मुख्यमंत्री वसुंधरा राजे ने बैठक के दौरान 2 अप्रैल को भारत बंद के दौरान अनुसूचित जाति व अनुसूचित जनजाति के लोगों के खिलाफ दर्ज प्रकरणों के बारे में अधिकारियों से जानकारी ली। सीएम राजे समेत राज्य सरकार के मंत्रियों को कई संगठनों ने इस प्रकरणों में अनावश्यक लोगों को परेशान करने एवं सहानुभूति पूर्वक विचार करने के प्रतिवेदन प्रस्तुत किए हैं। मुख्यमंत्री स्तर पर तय हुआ है कि ऐसे प्रकरणों की सुनवाई के लिए दो या तीन मंत्रियों की कमेटी गठित कर दी जाए। इसमें अफसरों को भी शामिल किया जा सकता है। यह कमेटी परिवेदनाएं सुनकर सरकार को अपनी राय प्रकरणों को लेकर दे सकेगी। सरकार गंभीर मामलों को छोड़कर अन्य प्रकरण वापस ले सकती है।