जयपुर। हर बार की तरह बसंत का मौसम फिर आ गया है। वो ही बसंत जो जस्ट आफ्टर विंटर आता है और प्रेम के दिवानों को मचलाने लगता है। मचलाए भी क्यों नहीं ? उधर कामदेव से कुंपित बगिया में पुष्पों के बाण जो चलने लगे हैं, मौसम सुहाना जो होने लगा है, उद्यानों में फूल खिलने जो लगे हैं, एक मदमस्त गंध हवा में घुलने जो लगी है, भंवरे गुनगुनाने लगे हैं और रंग-बिरंगी तितलियां फूलों पर मंडराने जो लगी हैं। जी हां, यह मौसम प्रेम का मौसम है, जो वेलेंटाइन सप्ताह पर और भी ज्यादा सुहाना हो गया है। इस मौसम में आपके मन में भी कुछ हिलोरे तो उठ ही रहे होंगे। लेकिन, यदि आप अकेले हैं या फिर सनम की दूरियां आपको परेशान कर रही है तो आइए प्यार के इस त्योहार को राजस्थान की राजनीति से जोड़कर क्यों ना एक बार फिर ऑनलाइन मजा लिया जाए…
प्रेमिका ही नहीं, गहलोत सरकार की पहचान भी है वादाखिलाफी
राजस्थान विधानसभा चुनावों से पहले वोट बटोरने के लिए कांग्रेस-भाजपा सहित कई पार्टियों के नेताओं ने प्रदेश में डेरा डाले रखा। इस दौरान येन-केन प्रकारेण राजनेता जनता का मन मोहना चाहते थे। वोट के लिए नेताओं ने जनता से कई प्रकार के वादे भी किए लेकिन इनमें कुछ ऐसे वादे भी थे, जो मतदाताओं को बेवफा प्रेमिका की याद दिला रहे हैं। याद होगा, जयपुर में कांग्रेस के राष्ट्रीय अध्यक्ष राहुल गांधी ने भरी सभा में कहा था कि हमारी सरकार बनते ही 10 दिन में सभी किसानों का सम्पूर्ण कर्ज माफ कर दिया जाएगा। राजस्थान में कांग्रेस जीती, अशोक गहलोत मुख्यमंत्री भी बन गए लेकिन करीब 2 माह तक इस दिशा में कोई कदम नहीं उठाया गया। जनता के दवाब में सरकार जागी भी लेकिन कर्ज सिर्फ सहकार बैंकों से लिए कर्जदारों का ही माफ करने की घोषणा कर दी गई। इनमें भी वो 29 लाख किसान फायदा नहीं ले पाएंगे जिनका पिछली कांग्रेस सरकार ने 50 हजार रुपये का कर्जा माफ कर दिया था। इसमें खास बात यह रही कि कर्जमाफी से सम्पूर्ण शब्द गायब हो गया और दो लाख रुपये तक कर्ज माफ करने का झूठा ढिंढोरा पीटा गया।
केवल किसान कर्जमाफी ही नहीं कांग्रेस ने युवाओं को साढ़े तीन हजार रुपये प्रतिमाह बेरोजगारी भत्ता देने का वादा भी किया था। लेकिन, इस दिशा में अभी तक घोषणा के अलावा कोई ठोस कदम नहीं उठाया गया है। ऐसे ही गुर्जर समाज को 5 फीसदी आरक्षण, रीट के सफल अभ्यर्थियों को एक माह में नियुक्ति जैसे कई ऐसे वादे हैं जिनको कांग्रेस ने ना तो निभाया है और निभाने के लिए तैयार है। ऐसे में मतदाता अपने आप को ठगा हुआ महसूस करते हुए मन ही मन सरकार से एक बात जरूर पूछ रहे होंगे कि – कर के बड़े-बड़े वादे मुकर जाती हो हर बार, तुम मेरी माशुका हो या गहलोत सरकार।