राजस्थान की जनता ने कांग्रेस को सही तोहफा दिया है। जनता ने क्रिसमस से पहले राजस्थान सरकार की चाबी परंपरा अनुसार कांग्रेस के हाथों में सम्मान सौंप दी है। लेकिन एक पुरानी कहावत है कि “नाच ना जाने आँगन टेड़ा”। अर्थात कांग्रेस ने भावनाओं में बहकर जो वादे किये हैं, उन वादों को पूरा करने में सक्षम नहीं हैं, और सम्माननीय मुख्यमंत्री अशोक गहलोत जी आगे आने वाली नाकामी का आरोप अभी से ही पिछली भाजपा सरकार पर मड रहे हैं। जनता और किसानों ने कांग्रेस पर भरोसा करके सत्ता पर बिठाया है, उस भरोसे का जनता को ये सिला मिल रहा है। अशोक गहलोत और सचिन पायलट को आज मुख्यमंत्री पद की शपथ खाये हुए 7 दिन हो चुके हैं, और सातवें दिन ही पहली नाकामी का आरोप भाजपा पर जड़ दिया।
राजस्थान के मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने वसुंधरा राजे पर किसानों को हो रही यूरिया संकट का आरोप लगाया है। उन्होंने कहा है कि चुनाव हारने के डर से पहले से ही उन्होंने सूबे में ऐसी परिस्थितियां पैदा कर दी थी, जिससे किसानों को आज वक़्त पर उरिया और खाद नहीं मिल रहे हैं। जगह-जगह यूरिया और खाद की किल्लत से परेशान किसानों से जुड़ी रिपोर्ट को मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने सबसे पहले अपने पास मंगाया और अधिकारियों से इनके स्टोक के बारे में जानकारी ली तो सामने आया कि कोटा समेत पूरे हाड़ौती, बारां, बूंदी में यूरिया का संकट बना हुआ है। समूचे राज्य में जरूरत का मात्र 20 फीसदी ही यूरिया आ पा रहा है। दरअसल यूरिया की किल्लत को इसी से समझा जा सकता है कि इसे लेने के लिए किसानों को घंटों कतार में लगकर इंतजार करना पड़ रहा है।
मुसीबत तो तब आती है जब घंटों इंतजार के बाद खबर आती है कि यूरिया खत्म हो गया। प्रदेश में 31 दिसंबर तक 7 लाख 64 हजार मीट्रिक टन यूरिया की जरुरत है और इसके मुकाबले अब तक 6 लाख 3 हजार मीट्रिक टन यूरिया की आपूर्ति हो चुकी है। शेष रहे 1 लाख 60 हजार मीट्रिक टन यूरिया के बंदोबस्त की बात कही जा रही है। कहा तो यह भी जा रहा है कि 2500 मीट्रिक टन की एक रैक आने के बाद इसमें से 1 हजार मीट्रिक टन यूरिया बारां, 500-500 मीट्रिक टन कोटा, बूंदी और झालावाड़ भेजी जाएंगी। इसी प्रकार सीएफसीएल से 1500 मीट्रिक टन यूरिया मंगवाया गया है इसमें 4 मीट्रिक टन यूरिया कोटा और 300-300 मीट्रिक टन यूरिया तीनों जिलों में भेजा जाएगा।
लेकिन इससे एक बात तो स्पष्ट वर्तमान गहलोत सरकार किसानों को यूरिया की आपूर्ति करने में असमर्थ दिखाई दे रही है। इसीलिए तो किसानों की परेशानी का हल ढूंढने के बजाय गहलोत जी ने मुँह उठाकर वसुंधरा जी पर आरोप लगा दिया। अरे महामहिम माननीय मुख्यमंत्री साहब जब जनता ने ज़िम्मेदारी दी है तो ज़िम्मेदार बनो। ये सब बातें, आरोप-प्रत्यारोप तो राजनीति का हिस्सा है। ये तो सबको पता है कि नयी सरकार जिन कामों से जल्दी नहीं निपट सकती उसका आरोप तो भाजपा पर डाल दिया लेकिन भाजपा सरकार ने जिन 30 लाख किसानों का क़र्ज़ माफ़ करके कांग्रेस सरकार का जो 9000 करोड़ रूपये का फायदा किया है, उसके लिए भी तो भाजपा सरकार को धन्यवाद देना चाहिए लेकिन वो तो गहलोत जी ने किया नहीं।
तो क्या कांग्रेस पार्टी का सरकार चलाने का कौशल इतना कमज़ोर हो चुका है कि अब ये किसी समस्या का समाधान निकलने की बजाय पांच साल तक सिर्फ दूसरों पर आरोप लगाते रहेंगे या फिर कुछ काम भी करेंगे। अरे भई अब आपके हाथ में सत्ता है, पॉवर, पैसा भी है ही। तो फिर इधर-उधर बगले झाँकने के बजाय काम पर ध्यान दे…! काम पर ध्यान दें !
Source : Mahendra