राज्य सरकार ने हाल ही में बजट में परिवहन कार्यालय जाकर आरसी और लाइसेंस बनवाने की बाध्यता को खत्म कर दिया है। इसके चलते अब चालकों के स्मार्ट कार्ड के नाम पर लिए जाने वाले 200 रु. बच जाएगा। इसके लिए आवेदकों के लिए ई-लाइसेंस और ई-पंजीकरण प्रमाण पत्र की व्यवस्था लागू की जाएगी।
ऑनलाइन ही लाइसेंस-आरसी को डाउनलोड किया जा सकेंगा। इससे निश्चित रूप से समय की बचत होगी। इसके लिए 200 रुपये की रसीद भी नहीं काटनी होगी। हालांकि यह व्यवस्था परिवहन आयुक्त द्वारा जारी अधिसूचना के बाद लागू होगी। इस सिस्टम के शुरू होने के बाद लाइसेंस और आरसी के लिए हर साल करीब 55 करोड़ रुपये की बचत होगी।
प्रदेश में हर साल 12 लाख परमानेंट लाइसेंस बनते हैं। इसमें 8.28 लाख नए बनते हैं और 4.10 लाख का नवीनीकरण होता है। वहीं हर साल 10 लाख वाहनों की आरसी जारी की जाती है। इसमें 7 लाख 21 हजार दो पहिया, 1 लाख 36 हजार चार पहिया वाहन हैं। 200 रुपये प्रति आरसी-लाइसेंस से सरकार को हर साल लगभग 55 करोड़ रुपये का राजस्व प्राप्त होता है।