भारतीय राजनीति में जब भी होगी सादगी की बात, याद आएंगे पर्रिकर साहब। गोवा के मुख्यमंत्री और पूर्व रक्षा मंत्री मनोहर पर्रिकर अब इस दुनिया में नहीं रहे। पर्रिकर जी का निधन 63 साल की उम्र में रविवार शाम छह बजकर चालीस मिनट पर हुआ था। वह काफ़ी लंबे समय से पैंक्रियाज के कैंसर से लड़ रहे थे। कैंसर जैसी ख़तरनाक बीमारी का इलाज के लिए वो पिछले साल अमेरिका भी गए थे। बताया जा रहा है कि पर्रिकर जी का स्वास्थ्य पिछले दो दिनों से ज़्यादा ख़राब था। उनका निधन कल राष्ट्रपति कोविंद, प्रधानमंत्री मोदी सहित देश के लोगों ने उन्हें याद किया और एक दिन का राष्ट्रीय शोक घोषित किया है।
चार बार सीएम रहने के बाद भी था सादगी भरा जीवन
वह देश के पहले आईआईटी पास आउट थे जो मुख्यमंत्री बने। गोवा के चार बार मुख्यमंत्री रहने के बाद भी उनकी छवि सादगी भरी थी। मुख्यमंत्री बनने के बाद भी शुरुआत के कई सालों तक वो मुख्यमंत्री निवास में नहीं रहे। कितनी ही बार वो बिना सरकारी गाड़ियों के इस्तेमाल किये, अपने स्कूटर से ही मुख्यमंत्री कार्यालय जाते थे। वह हमेशा शर्ट- पेंट में नज़र आते थे। अपने निज़ी काम के लिए वह ऑटो से जाते थे और कभी- कभी टी स्टॉल पर रूककर आम लोगो के साथ चाय पीते नज़र आते थे। उनके इसी सादगी भरा जीवन लोगों के बीच अमिट छाप छोड़े हुआ है।
अपनी जिम्मेदारियों से कभी पीछे नहीं हटे
उन्होंने अपनी छवि एक राष्ट्रीयवादी नेता के रूप में बनाई थी। उनके लिए सबसे पहले उनका देश था। बीमारी से लड़ते वक्त भी वो कभी अपनी जिम्मेदारियों से पीछे नहीं हटे, गोवा के मुख्यमंत्री होने के तौर पर उन्होंने विधानसभा में गोवा का बजट 2019- 20 पेश किया था, उस वक्त वो हाल ही में अमेरिका से इलाज करवाकर लौटे थे। उस वक़्त उनके नाक में पाइप लगी थी और वो दो लोगों के सहारे के साथ विधानसभा में आये थे। इस दौरान उन्होंने कहा था कि ” मैं जोश में भी हूँ और होश में भी हूँ “। बीमारी से जूझते वक्त भी वो अपनी जिम्मेदारियों से पीछे नहीं हटे, उनके इसी जज्बे को पूरे देश ने सराहा था।
अपने नाम से नहीं काम से बनाई पहचान
मनोहर पर्रिकर अपनी सादगी के साथ- साथ अपने कुशल और मज़बूत नेतृत्व के लिए भी जाने जाते हैं। उन्होंने मोदी सरकार में रक्षा मंत्री के तौर पर नवंबर 2014 से 2017 तक पद संभाला। उनके नेतृत्व की वज़ह से भारतीय सेना ने अपनी पहली सर्जिकल स्ट्राइक की, उरी हमले के बाद सेना ने LOC पार कर आतंकवादियों के कैंपो पर हमला किया था और उन्हे तबाह कर दिया था। पर्रिकर ने इसका श्रेय भी संघ की शिक्षा को दिया था।
भारतीय राजनीति में मनोहर पर्रिकर एक आदर्श राजनेता थे, जो अपने कर्तव्यों से कभी पीछे नहीं हटे, चाहे उनके जीवन में धूप हो या छांव। उनका निधन देश के लिए अपूरणीय क्षति है।