राजस्थान विधानसभा की वर्तमान ईमारत में कभी भी 200 विधायक एक साथ नहीं बैठ पाए। एक बार फिर राज्य विधानसभा के मानसून सत्र में भी ऐसा ही देखने को मिलेगा। दो विधायकों के सांसद बनने के बाद 198 विधायक ही सदन में बैठ पाएंगे। जब से विधानसभा की नई इमारत बनी है तभी से यह होता आया है। कोई न कोई कारण से कभी भी 200 विधायक एक साथ सदन के अंदर नहीं बैठे। इसी वज़ह से मौजूदा विधानसभा भवन को लेकर कई अंधविश्वास भी चर्चा में रहे। विधायकों ने तो टोने-टोटकों के जरिये भूत प्रेत भगाने तक की योजना तक बना ली थी। अब एक फिर वहीं सब होने जा रहा है। जब विधानसभा का आने वाला सत्र 200 विधायकों का ना होकर केवल 198 विधायकों का ही होगा।
15वीं राजस्थान विधानसभा में तो पहले ही तय हो गया था
राजस्थान में गहलोत सरकार के निर्माण के बाद विधानसभा का पहला सत्र बुलाया गया। उससे पहले ही यह तय हो गया था, कि 200 विधायकों के सदन में नहीं बैठने का इतिहास इस बार भी नहीं टूटने वाला। रामगढ़ विधानसभा सीट से चुनाव लड़ने वाले बसपा प्रत्यासी का निधन हो गया। नतीजा वहां चुनाव हुआ ही नहीं। रामगढ़ विधानसभा का चुनाव होने के बाद विधायकों की संख्या पूरी तो हो गई। लेकिन फिर सामने आ आ गये 2019 के लोकसभा चुनाव। मौजूदा विधानसभा के 2 विधायकों ने लोकसभा का चुनाव लड़ा और जीतकर संसद चले गए। अब हनुमान बेनीवाल और नरेन्द्र खींचड़ विधायक से सांसद बन चुके है। दोनों ने ही राज्यविधानसभा की सदस्यता भी छोड़ दी है। तमाम घटनाक्रमों के चलते इस मामले को फिर से हवा मिल गयी है की कुछ तो है। जो यह बार-बार जता देती है कि विधानसभा एक सीट उसके लिए आरक्षित है।
राजस्थान विधानसभा लगातार अंधविश्वासी बातों से दो चार होती रही
इसीलिए जिस विधानसभा में जादू-टोने, कुरीतियां, अंधविश्वास जैसी कुप्रथाओं को रोकने के कानून बनाए जाते हैं। वहां लगातार अंधविश्वासी घटना महसूस की जा रही है। नई विधानसभा बरसों से तमाम तरह की किवदंतियों का सामना कर है। वर्तमान राजस्थान विधानसभा भवन को लेकर यह बात स्पष्ट हो चुकी है। यहां कभी 200 विधायक एक साथ नहीं बैठ सके। राजे सरकार में भी विधानसभा सत्रों में भूत प्रेतों को लेकर स्वयं विधायकों ने आशंका जताई थी। जब नाथद्वारा विधायक कल्याण सिंह चौहान का निधन हुआ था। तब विधायक हबीबुर्रहमान रहमान समेत कुछ विधायकों ने तो कह दिया था, कि विधानसभा पर बुरी आत्मा का साया है। वहीं तत्कालीन मुख्य सचेतक कालूलाल गुर्जर ने भी यह बात कही थी। पूजा पाठ हवन के जरिए काले साये को हटाने की बात की गई। हवन के लिये पुरोहित भी बुलाये गये। लेकिन इन बातों को नकार दिया गया।
जबकि सवाल बरकरार है कि आखिर ऐसी क्या वजह है जो विधानसभा में कभी 200 विधायक एक साथ नहीं बैठ पाते?
एक बार राजस्थान विधानसभा का इतिहास भी जान लो
- फरवरी 2001 के दौरान 11वीं विधानसभा का सत्र था, तब विधानसभा वर्तमान नए भवन में शिफ्ट हुई थी।
- 25 फरवरी को तत्कालीन राष्ट्रपति के. आर. नारायणन उद्घाटन के लिए आने वाले थे जो बीमार होने की वजह से नहीं आ सके।
- आखिरकार विधानसभा बिना उद्घाटन के ही शुरु हो गई।
- नवंबर 2001 में इसका उद्घाटन हुआ। तब से अब तक कई विधायकों का निधन हो चुका था।
- यह विधायक थे किशन मोटवानी, जगत सिंह दायमा, भीखा भाई, भीमसेन चौधरी, रामसिंह विश्नोई, अरुण सिंह एवं नाथूराम अहारी।
- इसके अलावा तेरहवीं विधानसभा सत्र में कांग्रेस कैबिनेट मंत्री महिपाल मदेरणा और विधायक मलखान सिंह को भंवरी देवी हत्याकांड के कारण जेल जाना पड़ा।
- 2012 में बीजेपी विधायक राजेंद्र राठौड़ को दारिया एनकाउंटर मामले में जेल जाना पड़ा।
- 14 वीं विधानसभा सत्र में बसपा विधायक बाबू सिंह कुशवाहा को हत्या के आरोपों के चलते जेल जाना पड़ा।
- वसुंधरा राजे के पिछले शासन के दौरान कल्याण सिंह चौहान, कीर्ति कुमारी, धर्मपाल चौधरी का विधायक पद पर रहते हुये निधन हो गया था।
विधानसभा को उप-चुनावों का भी बार-बार सामना करना पड़ा
समय-समय पर कई विधानसभा क्षेत्रों को उपचुनाव का सामना भी करना पड़ा।
- फरवरी 2002 में किशन मोटवानी के निधन के बाद अजमेर पश्चिम में उपचुनाव हुए।
- दिसंबर 2002 में बानसूर विधायक जगत सिंह दायमा के निधन के बाद चुनाव हुआ।
- सागवाड़ा विधायक भीखा भाई के निधन बाद उपचुनाव हुआ।
- 2005 जनवरी में लूणी विधायक रामसिंह विश्नोई के निधन के बाद उपचुनाव हुआ।
- 2006 मई में डीग विधायक अरुण सिंह के निधन के बाद उपचुनाव हुआ।
- 2006 दिसंबर में डूंगरपुर विधायक नाथूराम अहारी के निधन के बाद उपचुनाव हुआ।
- 2017 में धौलपुर विधायक बीएल कुशवाह के जेल जाने के बाद वहां भी उपचुनाव हुए।
- 2017 में सितंबर के महीने में बीजेपी विधायक कीर्ति कुमारी के निधन के बाद मांडलगढ़ में उपचुनाव हुआ।
- 21 फरवरी 2018 को बीजेपी विधायक कल्याण सिंह का भी निधन हो गया।
- उसके बाद मुंडावर विधायक धर्मपाल चौधरी भी इस दुनिया में नहीं रहे।
- मौजूदा विधानसभा की शुरुआत में रामगढ़ उपचुनाव का सामना करना पड़ा।
तो फिर पुरानी विधानसभा कहां चलती थी
राजस्थान की पुरानी विधानसभा जयपुर चारदीवारी के मानसिंह टाउन हॉल में चलती थी। आधुनिक परिवेश के साथ जयपुर में नई विधानसभा बनाई। लेकिन विधानसभा में विधायकों की उपस्थिति हमेशा शंकाओं से घिरी रही। विधायक भले ही खुलकर अंधविश्वासों के बारे में बात नहीं करें। लेकिन अंदरूनी तौर पर कानाफूसी चलती रहती है, कि विधानसभा के भवन को शुद्धिकरण की जरूरत है। विधायकों के फ़ोटो सत्र में शायद कभी ऐसा हुआ हो। जब पूरे विधायक एक साथ नजर आये हों। सदन में कुर्सियां तो 200 हैं। मगर कभी भी 200 विधायक बैठ नहीं पाते।
यही अनसुलझी पहेली जब विधानसभा अध्यक्ष डॉ. सीपी जोशी के सामने आया तो उन्होंने क्या किया? साईकॉलोजी के प्रोफेसर डॉ. सीपी जोशी के पास इसका उत्तर भी है। जो अंधविश्वास और टोने-टोटकों की बातों को सीधे तौर पर नकारते हैं। तर्क में विश्वास करने वाले जोशी शायद अब यह इलाज भी ढूंढ ही ले। जिसके जरिये विधानसभा की नई इमारत के इतिहास को वास्तु विज्ञान से बदला जा सके और विधायकों को माहिमा क़ायम रह सके। वरना अगर आम जनता तक ये बात पहुंच गयी तो वो तो नहीं कहेंगे। वहां अगर भूत रहते हैं, तो इसमें कौन सी नई बात है? क्योंकि वहां बैठने वाले कौनसे भूतों से कम हैं!
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