प्रदेश में हत्या, हत्या के प्रयास, डकैती, चोरी, जालसाजी, दुष्कर्म और पॉक्सो एक्ट के मामले लगातार बढ़ रहे हैं। जहां एक ओर राजस्थान पुलिस के आला अधिकारी राज्य में अपराध नियंत्रण की दुहाई देते रहते हैं, वहीं दूसरी ओर उनके आंकड़े राज्य में अपराध की हकीकत को उजागर करते नजर आ रहे हैं। राज्य में गैंगवार, फायरिंग, रेप, पेपर लीक जैसे मामले देश भर में सुर्खियों में बने हुए हैं।
अपराध के मामलों में अपने पड़ोसी राज्यों से सबसे सुरक्षित माने जाने वाला राजस्थान भी अपराधियों का गढ़ बनता जा रहा है। अन्य राज्यों के अपराधियों के लिए राजस्थान सुरक्षित शरण स्थल बनता जा रहा है। प्रदेश में लगातार अपराध के प्रकरणों में बढ़ोतरी हो रही है और कोई भी ऐसा अपराध नहीं है जिसमें कमी दर्ज की गई हो। लगातार बढ़ रहे अपराध के ग्राफ के सामने राजस्थान पुलिस भी बेबस नजर आ रही है।
भले ही सीएम अशोक गहलोत बढ़ते अपराध पर राजस्थान में अनिवार्य एफआईआर सिस्टम लागू करने की दलील दी जाती रही है। मुख्यमंत्री अशोक गहलोत के पास सरकार में गृह मंत्री की जिम्मेदारी होने के बावजूद वह अपराधों पर अंकुश लगाने में नाकाम रहे हैं। अपराध के आंकड़ों को लेकर विपक्षी पार्टी बीजेपी सरकार पर सीधा हमला करती रही है। बीजेपी का आरोप है कि राज्य में गंभीर अपराध तेजी से बढ़ रहे हैं। सरकार इन पर लगाम लगाने में नाकाम साबित हो रही है।
पिछले कुछ महीनों में पेपर लीक, गैंगवार और जबरन वसूली की कई घटनाएं सामने आ चुकी हैं। ये घटनाएं प्रदेश की सुरक्षा और कानून व्यवस्था पर भी बड़े सवाल खड़े कर रही हैं। आने वाले चुनाव में ये घटनाएं बड़ा मुद्दा बनेंगी। राजस्थान में नकल विरोधी नया कानून बनाया गया है। इसके बावजूद चार प्रतियोगी परीक्षाओं के पेपर आउट हो गए। पेपर लीक होने से प्रदेश के लाखों बेरोजगार युवाओं के सपने चूर-चूर हो गए हैं। इसके साथ ही गैंगवार और रंगदारी की घटनाएं भी चौंकाने वाली थीं। कुख्यात गैंगस्टर लॉरेंस बिश्नोई समेत अन्य गिरोह व्यवसायियों को जान से मारने की धमकी देकर करोड़ों रुपये की मांग कर रहा है। रंगदारी नहीं देने पर सरेआम फायरिंग की घटना को अंजाम दिया जा रहा है।
प्रदेश में आई.पी.सी. अपराधों की बात करें तो वर्ष 2021 की तुलना में वर्ष 2022 में 11.61 प्रतिशत की वृद्धि दर्ज की गई। बाहरी राज्यों से आने वाले बदमाश अब प्रदेश में आपराधिक घटनाओं को अंजाम दे रहे हैं। अवैध शराब, अवैध खनन या नशीले पदार्थों की तस्करी, पेपर लीक या भू-माफिया पर नकेल कसने के लिए पुलिस ने राज्य सरकार से कानून को और सख्त करने की मांग की है।
2014 से 2018 तक भाजपा शासन में 930728 मामले दर्ज हुए। कांग्रेस के 4 साल में 10.83 लाख मामले दर्ज हुए यानी पिछली सरकार की तुलना में 4 साल में 16% ज्यादा। आदिवासी जिलों उदयपूर, प्रतापगढ़, डूंगरपुर, सिरोही, बांसवाड़ा, राजसमंद एवं चित्तौड़गढ़ में बेटियों के बेचने की घटनाएं बढ़ी हैं।
शहर में बड़े गैंगस्टर के नाम पर धमकी देकर रंगदारी वसूलने का नया चलन शुरू हो गया है। चार माह में दस से अधिक घटनाएं हुईं। जनवरी माह में बदमाशों ने शहर के व्यापारियों को इंटरनेट कॉल कर करोड़ों रुपए की रंगदारी मांगी थी। शहर में लॉरेंस गैंग, आनंद पाल गैंग, ठेहठ गैंग, शिवराज जुसरिया गैंग, सुरेश फगोडिया गैंग, शक्ति राणौली गैंग, शहनवाज गैंग, मनीष सैनी गैंग के कुछ गुर्गे सक्रिय हैं।
प्रदेश में दुष्कर्म के मामले देश में पहले से ही सबसे अधिक हैं, अब अपराध का नया चलन अंतर्राज्यीय गिरोह पुलिस-प्रशासन के लिए चुनौती है। राजनीति में आए पूर्व डीजीपी हरीश मीणा ने विधानसभा में कहा था कि हत्या, डकैती या रेप की घटनाएं हर राज्य में होती रही हैं, लेकिन अंतरराज्यीय गैंग का रूप और भी भंयकर होता जा रहा है।
राजस्थान में अपराध की स्थिति दिन-ब-दिन बिगड़ती जा रही है, लेकिन मुख्यमंत्री अशोक गहलोत और कांग्रेस आलाकमान की आंखों पर पट्टी बंधी हुई है। राजस्थान में बढ़ता अपराध लोगों के लिए एक सवाल बन गया है। जिसका जवाब देना सीएम गहलोत के लिए काफी मुश्किल है। राजस्थान में अपराध के आंकड़ों में बलात्कार, बच्चों का अपहरण, हत्या, रंगदारी, फिरौती और डकैती सबसे ऊपर है, जो अशोक गहलोत के लिए शर्म की बात है।