प्रदेश में साढ़े पांच लाख नए दिव्यांग पहली बार अपने मत के अधिकार का उपयोग करेंगे। राजस्थान में पहली बार एक वर्ष में साढ़े पांच लाख दिव्यांग वोटर्स को मतदाता सूची में जोड़ा गया है। प्रदेश में पहली बार ऐसी व्यवस्था भी की गई है जिससे दिव्यांग मतदाता अपने अधिकारों का अधिक से अधिक उपयोग सुविधाजनक तरीके से कर पाएगा। निर्वाचनआयोग ने विशेष व्यवस्था के साथ एक विशेष टीम भी बनाई है। इसके तहत इन दिव्यांग मतदाताओं को अब वॉलेंटियर घर से लेकर आएंगे और मतदान केन्द्र से वोट डलवाकर वापस घर छोड़ने का काम भी करेंगे। कोई भी दिव्यांग मतदाता वोट डालने से वंचित न रहे इसकी मॉनिटरिंग की जिम्मेदारी स्थानीय अधिकारियों की रहेगी। दिव्यांगों मतदाताओं के लिए सबसे ख़ास बात यह है कि इन्हें ना तो किसी लाइन में लगना पड़ेगा और ना ही नाम की पर्ची के लिए इधर-उधर जाना पड़ेगा। इनकी मतदान केन्द्र पर अलग से वोटर लिस्ट होगी।
दिव्यांग मतदाताओं को जागरुक करने के लिए चलाया जाएगा विशेष अभियान
राज्य के मुख्य निर्वाचन अधिकारी अश्वनी भगत ने बताया कि राज्य में पहली बार इतनी बड़ी संख्या में दिव्यांग मतदाताओं को जोड़ने के लिए चुनाव विशेष अभियान चलाया गया था। इस अभियान में साढ़े पांच लाख दिव्यांग मतदाता नए जोड़े गए हैं जो कि अपने आप में एक रिकॉर्ड है। उन्होंने बताया कि इसके अलावा दिव्यांग मतदाताओं को जागरुक करने के लिए विशेष अभियान चलाया जाएगा। इधर दिव्यांगों के लिए काम करने वाले सामाजिक संगठन भी प्रदेश में बड़ी संख्या में दिव्यांगों के नाम वोटर लिस्ट में जुड़ने से खुश नज़र आ रहे हैं। बता दें, प्रदेश में मतदान प्रतिशत बढ़ाने के लिए इस प्रकार के विशेष प्रयोग किए जा रहे हैं।
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निर्वाचन आयोग के प्रयासों से दिव्यांगों को मिलेगा अपना अधिकार
एक दिव्यांग संगठन के लिए काम करने वाले सामाजिक कार्यकर्ता मनोज भारद्वाज का कहना है कि दिव्यांग वो तबका है जिसके लिए पहले कभी इतनी गंभीरता से काम नहीं किया गया। पहली बार निर्वाचन आयोग के प्रयासों से प्रदेश में बड़ी संख्या में दिव्यांगों को अपना अधिकार मिलेगा।