जयपुर। प्रदेश में पिछले दिनों से हो रही बारिश और ओलावृष्टि से फसलों का काफी नुकसान पहुंचा है। फिलहाल कृषि व राजस्व विभाग की ओर से खराबे का सर्वे शुरू नहीं किया गया है। खेतों में अभी भी पानी भरा हुआ है। नहरों के धोरों की सफाई नहीं होने से पानी ओवर फ्लो होकर खेतों में भर गया है। इससे फसलें गलने की संभावना हो गई है। किसानों ने धोरों के पानी की निकासी की मांग की है। कृषि विभाग कोटा खण्ड के संयुक्त निदेशक रामावतार शर्मा ने बताया कि मंगलवार शाम तक प्राप्त विभाग की रिपोर्ट के अनुसार संभाग के कोटा और बूंदी जिलों में ओलावृष्टि से फसलों को नुकसान हुआ है।
अफीम, गेहूं, सरसों, लहसुन सहित अन्य फसलों में नुकसान
इसमें कोटा जिले में करीब 2400 हैक्टेयर में फसलों को 10 से लेकर 20 प्रतिशत नुकसान हुआ है। बूंदी जिले के दो राजस्व गाव में 500 हैक्टेयर में ओलावृष्टि से फसलों में 20 फीसदी तक नुकसान हुआ है। बारां और झालावाड़ जिले में कोई नुकसान नहीं हुआ है। ओलावृष्टि से लाडपुरा और इटावा क्षेत्र में ज्यादा नुकसान हुआ है। ओलावृष्टि से किसानों की फसलों को काफी नुकसान हुआ। ओलावृष्टि से अफीम, गेहूं, सरसों, लहसुन सहित अन्य फसलों में ज्यादा नुकसान हुआ है। किसान जिला प्रशासन को फसलों का सर्वे कराकर किसानों को मुआवजा देना चाहिए।
ओलावृष्टि से 60 प्रतिशत फसलें हो चुकी है खत्म
इटावा क्षेत्र के बालुपा, बागली, ठीकरदा, गोठडा, पीपल्दा, शहनावदा, लालगंज, सिमोला, करवाड, डूंगरली, फू सोद, ख्यावदा, आदि गांवों में ओलावृष्टि से फसलें नष्ट हो गई। किसानों का कहना है कि फसलें ओलावृष्टि से 60 प्रतिशत खत्म हो चुकी है। उधर, कृषि विस्तार के उप निदेशक रामनिवास पालीवाल ने बताया कि प्रधानमंत्री फसल बीमा योजना में बीमित किसानों को फसल खराबे की सूचना 72 घण्टे में प्रपत्र भरकर ऑनलाइन संबंधित बीमा कम्पनी को देनी होगी।