एससी-एसटी एक्ट में गिरफ्तारी से पहले जांच अनिवार्य करने के मामले में सुप्रीम कोर्ट ने केंद्र सरकार की पुनर्विचार याचिका पर मंगलवार को सुनवाई हुई। सुप्रीम कोर्ट ने अपने पूर्व 20 मार्च को किए गए फैसले पर किसी भी तरह के बदलाव या रोक लगाने से साफ तौर पर इनकार कर दिया है। अब बिना आरंभिक जांच आरोपी को गिरफ्तार नहीं किया जा सकता है। बता दें कि एससी-एसटी एक्ट में दलित समुदाय ने सुप्रीम कोर्ट के इस फैसले का विरोध करते हुए सोमवार को भारत बंद किया था। इस संबंध में केन्द्र सरकार ने पुनर्विचार याचिका दायर की थी। इस मामले की अगली सुनवाई 10 दिन बाद होगी।
हमारा मकसद निर्दोष को फंसाने से बचाना: जस्टिस गोयल
जस्टिस एके गोयल और जस्टिस यूयू ललित की बैंच ने कहा कि सुप्रीम कोर्ट कानून के खिलाफ नहीं है लेकिन निर्दोष को बचाना भी जरूरी है। खुली अदालत में सुनवाई करते हुए कोर्ट ने कहा, ‘हमने एक्ट कमजोर नहीं किया है बल्कि गिरफ्तारी व सीआरपीसी के प्रावधान को परिभाषित किया है। हमारा मकसद निर्दोष को फंसाने से बचाना है। उनके मौलिक अधिकारों की रक्षा होनी चाहिए।’
कोर्ट से बाहर क्या हो रहा है, उससे लेना-देना नहीं: कोर्ट
एससी-एसटी एक्ट फैसले के विरोध में बंद और हिंसा की दलील पर कोर्ट ने कहा कि कोर्ट के बाहर क्या हो रहा है, उससे हमें लेना—देना नहीं। हमारा काम कानूनी बिंदुओं पर बात करना और संविधान के तहत कानून का आकलन करना है।
मुआवजे में कोई बदलाव नहीं
सुप्रीम कोर्ट ने स्पष्ट किया कि एससी-एसटी पीड़ित को मुआवजे का भुगतान अब भी तुरंत किया जा सकता है। फिर चाहे शिकायत आने के बाद इस एक्ट के तहत एफआईआर दर्ज न हुई हो। एफआईआर आईपीसी के अन्य प्रावधानों पर दर्ज हो सकती है। बाद में इस एक्ट को जोड़ सकते हैं।