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आज श्री कृष्ण जन्माष्टमी है। यूं तो संवत् के अनुसार कृष्ण जन्माष्टमी 2 व 3 सितम्बर दोनों तिथियों को ही मनाई जा रही है। लेकिन हिंदू पंचांग के अनुसार उदया तिथि अष्टमी एवं उदय कालिक रोहिणी नक्षत्र के अनुसार 3 को श्री कृष्ण जन्माष्टमी का व्रत रखा जाएगा। देश व प्रदेश के अधिकांश हिस्सों में 3 सितम्बर को ही यह पर्व उत्साह के साथ मनाया जा रहा है। इस पावन दिन माखन चोर श्री कृष्ण भगवान का जन्म हुआ था। इसलिए घर-घर में कान्हा की मूर्ति सजेगी और साजो-श्रृंगार होगा। रात में कान्हा के जन्म लेने की खुशी में झांकियां सजाई जाएगी और दही चर्णामृत का प्रसाद बंटेगा।

पूजा का श्रेष्ठ मुहूर्त

जन्माष्टमी पूजा का शुभ मुहूर्त की बात करें तो सुबह 6 बजे से 10:30 तक है, उसके बाद प्रातः 10:30 से 12:30 बजे तक राहु काल रहेगा, उसके बाद शुभ मुहूर्त 12:31 से 01:50 तक रहेगा, उसके बाद शाम को 05:10 से 06:30 तक पूजा का सही समय है। इसके आलावा आप रात में 09:35 से 10:55 तक भगवान श्रीकृष्ण की पूजा कर सकते हैं,उसके बाद रात 12:25 मिनट से लेकर सुबह 5:30 तक का मुहूर्त है।

पूजा की विधि

भगवान श्रीकृष्ण की प्रतिमा पर हल्दी, दही, घी, तेल, गुलाबजल, मक्खन, केसर, कपूर आदि चढाकर पूजा करें। साथ ही व्रत की कथा को पढ़ने से मनोवांछित फल की प्राप्ति होती है। हिंदू धर्म ग्रंथों में श्रीकृष्ण-जन्माष्टमी की रात्रि को मोहरात्रि कहा गया है। इस रात में श्रीकृष्ण का ध्यान, नाम अथवा मंत्र जाप करने से संसार की मोह-माया से मुक्ति मिलती है। जन्माष्टमी का व्रत अपने आप में व्रतराज है। इस एक व्रत को करने से सभी व्रतों का फल मिलता है। जन्माष्टमी का व्रत रोहिणी नक्षत्र में भी सिद्ध है।

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