क्या आपने कभी सोचा हैं कि फसलों में कीटनाशक की जगह शराब छिड़की जाएगी। राजस्थान के किसानों ने एक नया तरीका इजाद किया हैं जिसे देखकर आप अपनी आंखों पर विश्वास नही करेंगे। दरअसल फसलों की ग्रोथ और पैदावार बढ़ाने के लिए अब किसानों ने नया तरीका इजाद किया है। शेखावटी के किसानों ने खेतों में कीटनाशक की बजाय देसी और अंग्रेजी शराब का छिड़काव कर रहे हैं। किसानों का तर्क है कि आधा बीघा खेत में 25-30 एमएल शराब काफी है।
क्यों किया जाता हैं फसलों पर शराब का छिड़काव
फल और सब्जियों पर तो आमतौर पर देशी शराब का छिड़काव किया जाता रहा है लेकिन अब फसलों पर देशी और अंग्रेजी शराब बहाई जा रही है। कृषि विशेषज्ञ इस तरह के किसी भी साइंटिफिक रिसर्च से इनकार करते हैं लेकिन किसानों का तर्क है कि शराब फसल और सब्जियों के लिए महंगे कीटनाशकों से ज्यादा उपयोगी है।
पैदावार ज्यादा, कीट का डर नहीं
किसानों का मानना है कि देशी और अंग्रेजी शराब के इस्तेमाल के बाद उनकी पैदावार में इजाफा हुआ है। झुंझुनूं जिले के भड़ौन्दा खुद गांव के किसान प्रदीप झाझड़िया का कहना है कि हम पिछले तीन साल से चने की खेती में कीटनाशक की जगह शराब का इस्तेमाल कर रहे हैं, जिसके कारण पैदावार में इजाफा हुआ है। किसानों के मुताबिक शराब के छिड़काव से तीसरे ही दिन सब्जियों के पौधों से पीलापन दूर होने लगता है उनकी ग्रोथ भी बढ़ती है। कीट और अन्य बैक्टीरिया खत्म हो जाते हैं। फल बनने से पहले फूल सूखने की समस्या भी समाप्त हो जाती है। नए फूल और फल लगने लगते हैं।
आधा बीघा में काफी है 30 एमएल
किसानों का तर्क है कि आधा बीघा खेत में 25-30 एमएल शराब काफी है। अधिकांश किसान 11 लीटर और 16 लीटर की स्प्रे मशीन में 100 एमएल तक देसी और अंग्रेजी शराब मिलाकर छिड़काव करते हैं। कई किसान प्रति बीघा करीब 150-200 एमएल शराब का इस्तेमाल करते हैं। खेती में शराब के इस्तेमाल से शेखावाटी में इसकी खपत बढ़ गई है।
इसलिए अपनाया जा रहा है यह तरीका
चने की फसल के लिए बाजार में कीटनाशक 500 से लेकर 7000 रुपए लीटर में बिक रहे हैं जबकि देसी शराब 80 रु. व अंग्रेजी शराब 200 रु. लीटर में मिल जाती है। कीटनाशक माइक्रोन्यूट्रेंट (लिक्विड) 2000 रु. लीटर व इममसीन बेनजॉएट 7000 रु. लीटर है। कमजोर फसल की ग्रोथ के लिए इस्तेमाल की जाने वाली दवाई ‘मोनो’ एक एकड़ के लिए करीब 360 रुपए की आती है।