भारत के ‘आयरन मैन’ यानि लौह पुरूष और देश के एकीकरण में अहम भूमिका निभाने वाले सरदार वल्लभभाई पटेल की आज पुण्यतिथि है। देश के स्वाधीनता संग्राम और भारतीय रियासतों का एकीकरण करके देश को एक सूत्र में बांधने में उनकी महत्वपूर्ण भूमिका रही है। सरदार पटेल भारत की मूल परिस्थिति को गहराई से समझते थे। वह जानते थे कि जब तक अर्थव्यवस्था में कृषि का योगदान महत्वपूर्ण बना रहेगा, तब तक संतुलित विकास होता रहेगा। देश की आजादी के बाद वे प्रथम गृह मंत्री और उप-प्रधानमंत्री बने। इस मौके पर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और पूर्व मुख्यमंत्री वसुन्धरा राजे ने उन्हें श्रद्धांजलि प्रेषित की है।
लौह पुरुष सरदार वल्लभभाई पटेल को उनकी पुण्यतिथि पर मेरी विनम्र श्रद्धांजलि।
Remembering the great Sardar Patel on his Punya Tithi. His thoughts, rich work and strong effort towards India’s unity inspire generations of Indians.
— Narendra Modi (@narendramodi) 15 December 2018
प्रधानमंत्री मोदी ने सोशल मीडिया पर कहा, ‘हम महान सरदार पटेल को उनकी पुण्यतिथि पर याद करते हैं। उन्होंने हमारे देश की जो स्मरणीय सेवा की, उसके लिए हर भारतीय उनका कर्जदार है।’
राष्ट्रीय एकता के बेजोड़ शिल्पी व आधुनिक भारत के निर्माता “लौह पुरुष” सरदार वल्लभ भाई पटेल जी की पुण्यतिथि पर उन्हें भावभीनी श्रद्धांजलि। pic.twitter.com/3EuhBnxfQs
— Vasundhara Raje (@VasundharaBJP) 15 December 2018
इसी मौके पर वसुन्धरा राजे ने टविट किया, ‘राष्ट्रीय एकता के बेजोड़ शिल्पी व आधुनिक भारत के निर्माता लौह पुरुष सरदार वल्लभ भाई पटेल जी की पुण्यतिथि पर उन्हें भावभीनी श्रद्धांजलि।’
स्वतंत्र भारत के प्रथम प्रधानमंत्री पं. नेहरू व प्रथम उप प्रधानमंत्री सरदार पटेल में आकाश-पाताल का अंतर था। यद्यपि अधिकांश प्रान्तीय कांग्रेस समितियां पटेल के पक्ष में थीं लेकिन गांधी जी की इच्छा का आदर करते हुए पटेल जी ने प्रधानमंत्री पद की दौड़ से अपने को दूर रखा और इसके लिये नेहरू का समर्थन किया। उन्हें उपप्रधान मंत्री एवं गृह मंत्री का कार्य सौंपा गया किन्तु इसके बाद भी नेहरू और पटेल के सम्बन्ध तनावपूर्ण ही रहे। इसके चलते कई अवसरों पर दोनो ने ही अपने पद का त्याग करने की धमकी दे दी थी।
गुजरात के नडियाद में 31 अक्टूबर, 1875 को एक कृषक परिवार में सरदार पटेल का जन्म हुआ था। उन्होंने लंदन में बैरिस्टर (लॉ) की पढ़ई की और वापस आकर अहमदाबाद में वकालत करने लगे। पटेल ने भी ऊंची शिक्षा पाई थी परंतु उनमें किंचित भी अहंकार नहीं था। वे स्वयं कहा करते थे, ‘मैंने कला या विज्ञान के विशाल गगन में ऊंची उड़ानें नहीं भरीं। मेरा विकास कच्ची झोपड़ियों में गरीब किसान के खेतों की भूमि और शहरों के गंदे मकानों में हुआ है।‘ महात्मा गांधी के विचारों से प्रेरित होकर उन्होंने भारत के स्वतन्त्रता आंदोलन में भाग लिया और देश की आजादी के बाद वे प्रथम गृह मंत्री और उप-प्रधानमंत्री बने। आजादी के बाद विभिन्न रियासतों में बिखरे भारत के भू-राजनीतिक एकीकरण में केंद्रीय भूमिका निभाने के लिए पटेल को भारत का बिस्मार्क और लौह पुरूष भी कहा जाता है। 15 दिसम्बर, 1950 को 75 वर्ष की आयु में मुंबई में उनका निधन हो गया था।
बता दें, हाल ही में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने सरदार पटेल को श्रद्धांजलि देने के लिए गुजरात के केवड़िया गांव में नर्मदा नदी पर बने सरदार सरोवर बांध पर ‘स्टैच्यू आॅफ यूनिटी’ का लोकार्पण किया है। यह सरदार पटेल की प्रतिमा है जिसे विश्व में सबसे बड़ी प्रतिमा होने का गौरव प्राप्त हुआ है। इसकी ऊंचाई 182 मीटर है जो अमेरिका के ‘स्टैच्यू आॅफ लिबर्टी’ से दोगुनी ऊंची है।
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