एक जमाना था, जब लोगों का मनोरंजन करने का काम एक विशेष वर्ग के लोग ही किया करते थे। लेकिन जब से भारतीय संस्कृति में सिनेमा का दौर आया है। मनोरंजन की परिभाषा बदल गयी। समय के साथ सिनेमा की दुनिया एक बड़ा रूप लेती गयी। आज हिंदुस्तान में हर साल हज़ारों करोड़ रुपये का कारोबार सिर्फ मनोरंजन के नाम पर ही किया जाता है। मनोरंजन की दुनिया इतनी चकाचौंध भरी हो गयी कि हर कोई इसकी तरफ आकर्षित होता चला जाता है। इसलिए जिसे देखो वो दूसरों का मनोरंजन करने की कोशिश करता है। लेकिन आज इण्डिया में ऐसे लोग भी है जो मनोरंजन करने के चक्कर में ओवर-एक्टिंग की दुकान खोलकर बैठ गए हैं। लोगों का मनोरंजन करने के चक्कर में कुछ ज्यादा ही एक्टिंग कर बैठते हैं।
खैर ये तो सिनेमा यानी रील लाइफ की बात है। लेकिन हम रियल लाइफ की बात करे तो भी आज हर जगह हमें ऐसे लोग दिखाई देते हैं जो ओवरएक्टिंग करने में कोई कसर नहीं छोड़ते है। रियल लाइफ में मनोरंजन की बात करें और पप्पू का नाम नहीं आये ऐसा कभी हो नहीं सकता। हाँ-हाँ वही पप्पू। एकदम सही पकडे हैं। उसी पप्पू के चक्कर में पूरी पार्टी के लोगों को ड्रामेबाजी करने का भूत सवार हो गया है। तभी तो राजस्थान में चुनाव आने से पहले ही इन लोगों ने जनता का मनोरंजन करना शुरू कर दिया और अब ये चुनावों तक ऐसे ही चलता रहेगा। रोज नया ड्रामा, रोज नया नाटक। हर दिन ये लोग कुछ ना कुछ तमाशा करते रहते हैं। कभी ये लोग किसान रैली के नाम पर अपनी चुनावी यात्रा कर रहे हैं। अरे भाई चुनावी यात्रा ही करनी है तो किसान का सहारा क्यों लेते हो। अपने दम पर चुनावी रैली निकालो।
मगर अपना दम तो इनका पूरा का पूरा ख़त्म हो चूका हैसंकल्प रैली में। फिर भी भीड़ जुटाने में नकाम रहे। जब संकल्प रैलियों में कांग्रेस जनता को इकट्ठा नहीं कर सकी तो किसान रैलियों के नाम पर भीड़ इकट्ठा करने की कोशिश कर रहे हैं। और वहां पर ये लोग ऐसे बयान देते हैं कि इनके शब्दों से इनकी ओवरएक्टिंग साफ़ दिखाई देती है। कहीं ये लोग जनता को भड़काते हैं, तो कहीं ये अनशन का दिखावा करते हैं। ऐसा ही कुछ चल रहा है, आजकल। कांग्रेस के नेता और जहाजपुर विधायक धीरज गुर्जर पिछले कुछ दिनों से अनशन कर रहे थे। सबसे पहला नाटक तो उनका अनशन ही है। फिर जब कोई उनके अनशन से प्रभावित नहीं हुआ, तो उन्होंने अपने कुछ लोगों को कहकर टंकी और टावर पर चढ़ा दिया। ताकि ये लोग फिर से जनता की नज़र में आ सके। लेकिन एक बार फिर इनको किसी ने कोई भाव नहीं दिया। उसके बाद इन्होंने अपनी तबीयड़ बिगडने का नया ड्रामा किया। और इस बार वही हुआ जो ये चाहते थे। इस बार जनता का, लोगों का, और मीडिया सबका ध्यान इन्होंने अपनी ओर खींच लिया।
अब बात करते हैं कि ये भाई साहब जी ऐसा क्यों कर रहे हैं। दरअसल जहाजपुर के विधायक जी अपनी बीस सूत्रीय मांगों के लेकर अनशन का दिखावा कर रहे थे। दिखावा इसलिए क्योंकि अगर इन्हें वाकई में जनता की परवाह होती पांच साल से कहाँ गायब थे। पांच सालों से विधायक बनकर बैठे हैं। लेकिन इनके अपने ही क्षेत्र की जनता इनसे खुश नहीं है। इन्होंने पांच साल सिर्फ और सिर्फ अपने ही लोगों का भला किया। वो भी सिर्फ अपने परिवार और रिश्तेदारों का बस। जनता जनार्दन से इनका दूर दूर तक कोई लेना देना नहीं रहा। फिर चुनावों से ठीक पहले अनशन पर बैठना। कहाँ तक प्रभावी है। क्योंकि ये तो सब लोग जानते हैं की सरकार हमारी मांगों को मान भी लेती है, तो भी वो वादे पूरे नहीं हो पायंगे। उनको पूरा करने का समय ही नहीं मिल पायेगा और चुनाव आ जायँगे। इसलिए इन लोगों ने सिर्फ दिखावा करने के लिए और सहानुभूति के वोट लेने के लिए अनशन किया।
जिस तरह से कांग्रेस के नेता एक झूठी हवा चलने की कोशिश कर रहे हैं। उससे इनके ढोंग और प्रपंच का साफ़ पता चलता है। पांच सालों में इतने काम हुए, कई सारी योजनायें चलाई गयी। लाखों-करोड़ों लोगों का भला किया गया। उन्हें एक भी नहीं दखाई देते। ये तो ऐसे बात करते हैं जैसे कुछ भी काम नहीं हुआ हो। कोई विकास नहीं किया हो। लेकिन पांच सालों से ये खुद कहाँ थे। अब चुनाव सिर पर हैं तो ये विकास की बात करते हैं। चलो मान लिया जाये कि पांच सालों में काम नहीं हुआ। लेकिन इस बात की क्या गारंटी है, कि आप लोग काम करेंगे। और अगर काम करना ही था तो अपनी पिछली सरकार के कार्यकाल में क्यों नहीं किया। क्यों राजस्थान और राजस्थान के लोगों का भला नहीं किया। और अगर किया तो फिर जनता ने राजस्थान से कांग्रेस का सूपड़ा-साफ़ क्यों किया। इसका जवाब नहीं दे पाएंगे ये लोग। क्योंकि ना तो इनकी जवाब देने की बसकी है और ना ही सरकार चलने की।
पहले जनता को इनकी हरकतों से मज़ा तो आता था। मगर अब तो इनके कारनामे भी ऐसे लगते हैं जैसे ओवर एक्टिंग कर रहे हों। इसलिए कांग्रेस वालों को अब जरुरत है कि ये लोग रविंद्र मंच जाकर कोई अच्छा सी नाट्य मण्डली में शामिल हो जाएँ और अभिनय करने का प्रशिक्षण लेकर आये। ताकि आगे कभी ये जनता के सामने जायें तो ये जनता का मनोरंजन तो अच्छे से कर पाएं। जनता बोर नहीं होनी चाहिए।
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