जयपुर। दिल दियां गल्लां करांगे नाल नाल बैठ के, अंख नाल अंख नू मिला के… आज आप खुश तो बहुत होंगे क्योंकि मुहब्बत के मारों का खास त्योहार जो आ गया है। फरवरी का पावन महीना प्रेम के दिवानों के लिए काफी अहम होता है। इस महीने में प्रेम के मारे वो लौंडे भी आहें भरने लगते हैं जिसको कभी किसी कन्या ने मुंह लगाना भी मुनासिब नहीं समझा। वैसे तो प्यार का इजहार करना बहुत मुश्किल होता है लेकिन यही वो सप्ताह है जो प्रेम के इजहार को तनिक आसान बना देता है। इस सप्ताह का पहला दिन 7 फरवरी होता है, जिस पर प्रेमी अपनी प्रेमिका को या प्रेमिका अपने प्रेमी को गुलाब का पुष्प भेंटकर सच्चे प्यार की दुहाई देती है। गुलाब से शुरू हुआ यह पश्चिमी सभ्यता का त्योहार कई प्रतीकों व तरीकों का तोहफा लाता है जो मन के झरनों में बहकर झाड़ियों तक खींचा चला जाता है। लेकिन, यदि आप अकेले हैं या फिर सनम की दूरियां आपको परेशान कर रही है तो आइए प्यार के इस त्योहार को राजस्थान की राजनीति से जोड़कर क्यों ना ऑनलाइन मजा लिया जाए।
गुलाब नहीं गुलदस्ता दिया, लेकिन सनम बदल लिया
राजनीतिक पृष्ठभूमि पर यदि हम राजस्थान के पिछले 30 वर्षों के इतिहास को देखेंगे तो पाएंगे कि यहां की जनता हर पांच साल में सरकार बदलने में विश्वास रखती है। बदले भी क्यों नहीं, परिवर्तन तो संसार का नियम है। और हां, यदि गर्म तवे पर रोटी ज्यादा समय तक एक ही तरफ से पड़ी रहेगी तो जल जाएगी, इसलिए मौका मिलते ही पलट देने में ही भलाई है। अब जनता तो जनार्दन है और लोकतंत्र में सबको अपने निर्णयानुसार मत देने का अधिकार भी है। इसलिए, जनार्दन ने प्रदेश के नेताओं को सिर आंखो पर बैठाकर गुलाब की जगह गुलदस्ता तो दिया। लेकिन, हर बार सनम बदल लिया।
राजस्थान का राजनीतिक इतिहास
वर्ष 1993 के विधानसभा चुनावों में भारतीय जनता पार्टी ने सत्ताशीन कांग्रेस को हराकर प्रदेश में सरकार बनाई। लेकिन 1998 में कांग्रेस ने ना केवल जनता का दिल जीता बल्कि 153 सीटें जीतकर भाजपा को चारो खाने चित्त कर दिया। इसके बाद वर्ष 2003 में हुए विधानसभा चुनाव में वसुंधरा राजे की परिवर्तन यात्रा जनता का दिल लूट बैठी और 120 सीटों के साथ भाजपा ने बहुमत की सरकार बनाई। लेकिन 2008 में एक बार फिर जनता ने बेवफा प्रेमिका का किरदार निभाते हुए गहलोत को मुख्यमंत्री की कुर्सी सौंप दी। 2013 में वसुंधरा ने सुराज संकल्प यात्रा के माध्यम से सबके दिलों को टटोला, जिसे मोदी की दीवानगी का भी काफी फायदा मिला और 163 सीटों के साथ भाजपा ने प्रचंड बहुमत की सरकार बनाई। लेकिन हाल ही में हुए विधानसभा चुनावों में एक बार फिर जनता का हृदय परिवर्तन हो गया और 100 सीटों के साथ कांग्रेस को कमान संभाल दी।
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