कार्तिक कृष्ण चतुर्दशी यानि छोटी दिवाली को ही रूपचौदस कहा जाता है जो आज (6 नवम्बर) है। यह 5 दिवसीय दीपोत्सव का दूसरा और खास त्योहार है जो धनतेरस के तुरंत बाद और दीपावली से एक दिन पहले आता है। इसलिए ही इसे छोटी दिवाली भी कहते हैं। रूपचौदस को नरक चतुर्दशी या काली चतुर्दशी भी कहा जाता है। माना जाता है कि कार्तिक कृष्ण चतुर्दशी के दिन विधि-विधान से पूजा करने वाले व्यक्ति को सभी पापों से मुक्ति मिल जाती है। यह पर्व बुराई के अंत के रुप में मनाया जाता है। आज ही के दिन श्रीकृष्ण ने नरकासुर का वध कर लोगों को भय से मुक्ति दिलाई थी इसलिए इस पर्व का खास महत्व है। रूपचौदस के दिन तिल का तेल लगा उपटन करके स्नान करने का विधान है।
न्यता है कि इस दिन तेल में लक्ष्मी और पानी में गंगा का निवास रहता है। यह दिन इतना शुभ है कि दिन के तीनों पहरों में यानि सुबह, दोपहर एवं शाम को किसी भी समय पूजा की जा सकती है। इसी दिन शाम को दीपदान की प्रथा है जिसे यमराज के लिए किया जाता है। घर का दारिद्र दूर करने व शुभ-समृद्धि के लिए शाम को घर के बाहर 7 या 11 दीपक जलाए जाने की भी मान्यता है। आज ही के दिन हनुमान जयंती भी मनाई जाएगी।
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चर: प्रात: 9:27 बजे से 10:48 बजे तक
लाभ: प्रात: 10:49 बजे से दोपहर 12:09 बजे तक
अमृत: दोहपर 12:10 बजे से 1:31 बजे तक
शुभ: दोपहर 2:54 बजे से शाम 4:14 बजे तक
लाभ: शाम 6:50 बजे से रात 8:20 बजे तक
नरक चतुर्दशी पर क्या करें…
- इस दिन सूर्योदय से पूर्व शरीर पर तेल लगाकर स्नान करना चाहिए।
- सूर्योदय के पश्चात स्नान करने वाले के वर्षभर के शुभ कार्य नष्ट हो जाते हैं।
- स्नान के पश्चात दक्षिण मुख करके यमराज से प्रार्थना करने पर व्यक्ति के वर्ष भर के पाप नष्ट हो जाते हैं।
- सायंकाल देवताओं का पूजन करके घर, बाहर, सड़क आदि प्रत्येक स्थान पर दीपक जलाकर रखना चाहिए।
- घर के प्रत्येक स्थान को स्वच्छ करके वहां दीपक लगाना चाहिए, जिससे घर में लक्ष्मी का वास एवं दरिद्रता का नाश होता है।
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