सामान्य वर्ग के लिए आर्थिक रूप से पिछड़े लोगों को शिक्षा व सरकारी नौकरियों में 10 प्रतिशत आरक्षण देने से जुड़ा बिल बीते दिन लोकसभा में दो तिहाई से अधिक बहुमत से पास हो गया है। 147 पार्टियों के कुल 92 प्रतिशत सांसदों ने आरक्षण बिल का समर्थन किया जबकि संशोधन बिल के लिए 67 प्रतिशत की जरूरत थी। कुल 326 सांसदों वाले सदन में 323 वोट समर्थन और महज 3 वोट विरोध में गिरे। एआईएमआईएम, अन्नाद्रमुक व राजद को छोड़ सभी दलों ने इस फैसले का समर्थन किया। सदन में 49 सांसद सस्पेंड होने से और शेष गैरहाजिर होने से इस बहस का हिस्सा नहीं बन पाए। आज यह बिल राज्यसभा में पेश होगा और आज ही इस पर अंतिम फैसला ले लिया जाएगा। राज्यसभा में एआईडीएमके के 13 और राजद के 5 सांसद हैं। जैसा लोकसभा में रहा, वैसा ही माहौल राज्यसभा में भी रहा तो सभी 244 सांसदों में से 93 प्रतिशत सांसद बिल के समर्थन में होंगे।
राज्यसभा में एआईडीएमके के 13 और राजद के 5 सांसद हैं। जैसा लोकसभा में रहा, वैसा ही माहौल राज्यसभा में भी रहा तो सभी 244 सांसदों में से 93 प्रतिशत सांसद बिल के समर्थन में होंगे।
क्या है सवर्ण आरक्षण
मोदी सरकार ने जनरल कैटेगिरी के लोगों को नए साल का तौहफा देते हुए सवर्ण वर्ग को 10 प्रतिशत आरक्षण की सौगात दी है। यह आरक्षण आर्थिक आधार पर शिक्षा और सरकारी नौकरियों में दिया गया है। इस श्रेणी में सभी जनरल कैटेगिरी के साथ मुस्लिम और अन्य धर्मों के लोग भी शामिल होंगे। आरक्षण के लिए पात्र परिवारों की सालाना आय 8 लाख रुपए तय हुई है। हालांकि अभी तक संविधान में आर्थिक आधार पर आरक्षण का प्रावधान नहीं है। संविधान में संशोधन कर अनुच्छेद 15, 16 में इसे जोड़ा जाएगा। फिलहाल देश में एएसी को 16 प्रतिशत, एसटी को 7.5 प्रतिशत और ओबीसी को 27 प्रतिशत आरक्षण दिया जा रहा है।
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