मोदी सरकार ने जनरल कैटेगिरी के लोगों को नए साल का तौहफा देते हुए सवर्ण वर्ग को 10 प्रतिशत आरक्षण की सौगात दी है। यह आरक्षण आर्थिक आधार पर शिक्षा और सरकारी नौकरियों में दिया गया है। इस श्रेणी में सभी जनरल कैटेगिरी के साथ मुस्लिम और अन्य धर्मों के लोग भी शामिल होंगे। आरक्षण के लिए पात्र परिवारों की सालाना आय 8 लाख रुपए तय हुई है। आर्थिक आधार पर आरक्षण का प्रावधान जोड़ने के लिए सरकार मंगलवार को संसद में संविधान संशोधन बिल पेश करेगी। चूंकि आज संसद का आखिरी दिन है, इसलिए राज्यसभा का सत्र बुधवार तक बढ़ा दिया गया है।
केन्द्र सरकार के इस फैसले से आर्थिक रूप से कमजोर सवर्ण वर्ग के जीवन में निश्चित रूप से क्रांतिकारी बदलाव आएगा तथा #NewIndia का हमारा सपना साकार होगा। आदरणीय प्रधानमंत्री श्री @narendramodi जी सहित समस्त केन्द्रीय मंत्रिमंडल का हार्दिक आभार। #SaafNiyatSahiVikas #Reservation
— Vasundhara Raje (@VasundharaBJP) 7 January 2019
लोकसभा चुनावों से ठीक पहले लिए गए इस फैसले के बाद विभिन्न वर्गों का कुल आरक्षण 49.5 प्रतिशत से 10 फीसदी बढ़कर 59.5 प्रतिशत हो जाएगा। हालांकि सुप्रीम कोर्ट ने आरक्षण की अधिकतम सीमा 50 प्रतिशत तय कर रखी है। यही वजह है कि राज्य सभा में संविधान संशोधन बिल पेश किया जाएगा। बता दें, अभी तक संविधान में आर्थिक आधार पर आरक्षण का प्रावधान नहीं है। संविधान में संशोधन कर अनुच्छेद 15, 16 में इसे जोड़ा जाएगा। फिलहाल देश में एएसी को 16 प्रतिशत, एसटी को 7.5 प्रतिशत और ओबीसी को 27 प्रतिशत आरक्षण दिया जा रहा है। सवर्ण जाति में शामिल ब्रह्मामण, मुस्लिम, सिख व ईसाइयों को आरक्षण प्राप्त नहीं है। यह वर्ग लंबे समय से आरक्षण की मांग कर रहा है।
आरक्षण के लिए 5 मुख्य मापदंड
1. परिवार की सालाना आय 8 लाख रुपए से अधिक नहीं होनी चाहिए।
2. परिवार के पास 5 एकड़ से अधिक कृषि भूमि नहीं होनी चाहिए।
3. आवेदक के पास एक हजार वर्ग फीट से बड़ा फ्लैट नहीं होना चाहिए।
4. म्यूनिसिपलिटी एरिया में 100 गज से बड़ा घर न हो।
5. नॉन नोटिफाइड म्यूनिसिपलिटी में 200 गज से बड़ा घर नहीं होना चाहिए।
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