अलवर के रामगढ़ विधानसभा क्षेत्र में 28 जनवरी को होने वाले चुनाव में कांग्रेस, भाजपा व बसपा समेत विभिन्न राजनीतिक दलों व जनता की निगाहें टिकी हुई है। इस बार का चुनाव त्रिकोणीय होने की वजह से मुकाबला बेहद रोचक माना जा रहा है। यह स्थिति तो तब है जब कांग्रेस के दिग्गज जुबेर खां व भाजपा के ज्ञानदेव आहूजा चुनावी दंगल में नहीं है। कांग्रेस ने इस बार जुबेर खां की पत्नी एवं पूर्व जिला प्रमुख सफिया जुबेर खां को मैदान में उतारा है। वहीं भाजपा ने सुखवंत सिंह व बसपा ने बीजेपी के बागी जगत सिंह को टिकट दिया है।
भाजपा ने अबकी बार नए चेहरे सुखवंत सिंह को चुनावी रण में उतारकर कांग्रेस व बसपा के पसीने छुड़ा दिए है। सुखवंत सिंह के चुनावी प्रचार को देखकर क्षेत्रवासी भाजपा की जीत तय मान रहे है। इससे पूर्व भी ज्ञानदेव आहूजा बीजेपी से ही विधायक रहे है। रामगढ़ क्षेत्र में सुखवंत सिंह की लोकप्रियता के सामने कांग्रेस व बसपा के प्रत्याशी चित होते दिख रहे है। एक तरफ कांग्रेस जहां सत्ता का दुरुपयोग कर जीतने की फिराक में है और दूसरी तरफ बसपा प्रत्याशी खुलेआम धमकियां देकर जनता पर अनावश्यक दबाव बनाते दिखाई दे रहे है।

वर्ष 1985 में पहली बार भाजपा ने रामगढ़ में जीत की हासिल

पिछले कुछ विधानसभा चुनावों से रामगढ़ सीट को हॉट सीट का दर्जा दिया जाता रहा है। गोतस्करी की विभिन्न घटनाओं को लेकर रामगढ़ प्रदेश ही नहीं देशभर में चर्चित क्षेत्र माना जाता है। अलवर जिला भारतीय जनता पार्टी का गढ़ है। इस बार हुए विधानसभा चुनाव में भाजपा यहां से 2 सीटें जीतने में कामयाब भी रही है। भाजपा ने यहां वर्ष 1985 में पहली बार जीत दर्ज की थी जिसके बाद 1998, 2008 व 2013 में भी जीत हासिल की। अबकी बार फिर से भाजपा की ही जीत तय मानी जा रही है।