जहां बेटियों को इस युग में अभिशाप माना जाता है वहां यह खबर सुखद अहसास कराने वाली है। राजस्थान की लाड़ली देश की सातवीं महिला फाइटर पायलट बनी है। झुंझुनूं जिले के पिलानी के पास घूमनसर कला गांव की रहने वाली प्रिया शर्मा ने महिला फाइटर पायलट बन प्रदेश और देश का नाम रोशन किया है। प्रिया ने ये मुकाम हासिल कर एक बार फिर बता दिया कि बेटियां किसी भी काम में बेटों से कम नहीं है। प्रिया हैदाराबाद में दो साल की ट्रेनिंग पूरी करने के बाद शनिवार को पासआउट हुई और उन्हें देश की सातवीं महिला फाइटर पायलट बनने का गौरव प्राप्त हुआ है। गांव में प्रिया के बारे में खबर पहुंचते ही खुशियों का माहौल हो गया। उनके घर बधाई देने वालो का तांता लग गया। लोगों ने एक दूसरे को मिठाई खिलाकर अपनी-अपनी खुशी जाहिर की है।
जयपुर के एमएनआईटी से कंप्यूटर साइंस में बी.टेक डिग्रीधारी है प्रिया
जिले की एक और बेटी भारतीय वायुसेना के फाइटर प्लेन उड़ाएगी। इससे पहले 2016 में खेतहपुरा निवासी मोहना सिंह ने फाइटर पायलट बनकर प्रदेश का नाम रोशन करने का काम किया है। प्रिया शर्मा ने बताया कि उनके पिता मनोज शर्मा भी वायुसेना में स्क्रवाइन लीडर हैं और सोमवार को उनका विंग कमांडर के पद पर प्रमोशन होगा। प्रिया की प्रारंभिक शिक्षा केंद्रीय विद्यालय में हुई थी। उसके बाद प्रिया ने जयपुर के एमएनआईटी से कंप्यूटर साइंस में बी.टेक किया। उसके बाद प्रिया का वायुसेना में ट्रेनिंग के बाद फ्लाइंग ऑफिसर के पद पर चयन हुआ था। उसके बाद हैदराबाद में ट्रेनिंग के बाद अब प्रिया का चयन फाइटर पायलट में रुप में हुआ है।
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‘कोशिश करने वालों की हार नहीं होती’ ये पंक्तियां प्रिया पर बिल्कुल सटीक बैठती है। बेहद कठिन और जटिल लंबी प्रक्रिया के बाद उनका चयन फाइटर पायलट के लिए हुआ है। चयन के बाद उनकी आंखों में खुशी और जज्बा साफ नजर आता है। गौरतलब है कि एक पायलट को तैयार करने में वायुसेना का करीब 13 से 15 करोड़ रुपए खर्च होते हैं। इससे पहले की तमाम परीक्षाएं और चयन के बाद के चरण बहुत कठिन होते हैं।