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राजस्थान सरकार और केन्द्र प्रदेश के किसानों की आय बढ़ाने और उन्हें समृ़द्ध बनाने के लिए प्रयासरत है। इसी बीच राजस्थान के रेगिस्तान में किसानों को एक नई सौगात मिली है। प्रदेश के  रेगिस्तान में लगे खजूर के पेड़ अब किसानों को मालामाल करने जा रहे हैं। जोधपुर स्थित केन्द्रीय शुष्क क्षेत्र अनुसंधान संस्थान (काजरी) में चार साल पहले शुरू की गई खजूर की खेती पहल अब रंग लाती दिखाई दे रही है। काजरी संस्थान में लंबे इंतजार के बाद अब खजूर की बंपर पैदावार होने लगी है। रेगिस्तान के टीलों में बीच उपजे एडीपी-1 टाइप के खजूर धूम मचा रहे हैं। इस साल एडीपी-1 का पिछले साल की तुलना में दुगना उत्पादन हुआ है। गत वर्ष खजूर के 150 पौधे से 1500 किलो खजूर का उत्पादन हुआ था, जो इस साल बढ़कर दुगुना यानी तीन हजार किलो हो गया है।

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File-Image: खुशखबरी: राजस्थान के रेगिस्तान में अब किसानों को मालामाल करेगा खजूर.

रेगिस्तान के किसानों की आय चार से पांच गुना तक बढ़ जाएगी

काजरी के निदेशक ओपी यादव ने बताया कि वह दिन दूर नहीं जब खजूर से रेगिस्तान के किसानों की आय चार से पांच गुना तक बढ़ जाएगी। दरअसल, वर्ष 2014 में काजरी संस्थान ने गुजरात से 150 पौधे लाकर जोधपुर स्थित फार्म में लगाए। गुजरात की आंणद यूनिवर्सिटी और बीकानेर शुष्क बागवानी संस्थान के साथ मिलकर काजरी ने टिश्यू कल्चर की तकनीक से खजूर का उत्पादन शुरू किया। चार साल की मेहनत के बाद अब काजरी में खजूर के पेड़ों पर खजूर के गुच्छे लटक रहे हैं। वहीं इस अच्छी पैदावार को देखने अब जनप्रतिनिधि भी आने लगे हैं।

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काजरी के बेर के बाद अब खजूर भी देशभर में होंगे मशहूर

प्रदेश के जोधपुर स्थित संस्थान को काजरी को सीरियन वैरायटी से अपेक्षित परिणाम नहीं मिले थे, लेकिन एडीपी-1 से भरपूर उत्पादन हुआ है। मारवाड़ की जलवायु में इस किस्म ने कमाल कर दिया है। एडीपी-1 की काजरी संस्थान की दूसरी बड़ी सफलता है। इससे पहले काजरी को बेर उत्पादन में बड़ी सफलता मिली थी। बेर की अच्छी किस्म के उत्पादन के बाद अब रेगिस्तान के खजूर भी देशभर में मशहूर होने जा रहे हैं। आगामी कुछ वर्षों में रेगिस्तान के बड़ी संख्या में किसान इस फसली का उत्पादन शुरू करेंगे। जिससे आय तो बढ़ेगी ही साथ ही समृद्धि भी आएगी।