राजस्थान में 6 अक्टूबर को आचार संहिता लागू कर दी गयी। इसके बाद से ही राजस्थान में राजनीतिक हलचल और तेज हो गयी है। बीजेपी अपने कार्यकर्ताओं के साथ पूरी तरह से चुनावों के लिए तैयार है। लेकिन राजस्थान में कांग्रेस के नेता अपनी चिंता छोड़कर दूसरों का भविष्य तय करने में लगे हैं। उन्हें खुद अपने पार्टी के नेताओं का कोई अता-पता नहीं। किसको टिकिट देना है, किसको नहीं ये तो खुद तय नहीं कर पा रहे हैं और बयान दे रहे है कि हम भाजपा को उन विधानसभा सीटों पर भी हराएंगे जहाँ उनके प्रत्याशी लम्बे समय से जनता का भला करते आये हैं।
2013-14 में राजस्थान में बुरी तरह हारने के बाद कांग्रेस की हालत उठकर पानी मांगने लायक भी नहीं रही थी। बात करना तो दूर कांग्रेस के नेता चार साल तक किसी को मुँह दिखने लायक नहीं रहे। लेकिन चुनावी साल आते आते ये लोग फिर से उठने लगे। अब ये राजस्थान में इस कदर सक्रीय हो चुके हैं जैसे लकड़ी में दीमक। ये लोग राजस्थान की राजनीति को अंदर ही अंदर खोखला करने में लगे हैं। कभी ये राजस्थान की जनता को भड़काने और लड़ाने का काम करते हैं। तो कभी ये लोग जनता को सरकारी तंत्र के खिलाफ विरोध करने के लिए उकसाते हैं। कांग्रेस के कार्यकाल में भ्रष्टाचार अपने चरम पर था। लेकिन फिर भी ये वर्तमान सरकार पर भ्रष्ट होने के झूठे आरोप लगते रहते हैं। हद तो तब हो गयी जब ये लोग जोश जोश में ऐसे बयान दे जाते हैं, जिनको सुनकर किसी की भी हंसी छूट जाती है।
राजनीति के गर्माते माहौल में कांग्रेस के नेताओं ने एक सुगबुगाहट शुरू की है कि कांग्रेस इस बार झालरापाटन की विधानसभा सीट पर बीजेपी को मात देने का प्लान बना रही है। ये कांग्रेस भी ना दिन में सपने देखना बंद नहीं करेगी। अब बाताओ कैसे जीतेगी कांग्रेस उस सीट को। जिस सीट पर भाजपा पिछले 15 सालों से कायम है। उस सीट पर कांग्रेस, बीजेपी को हारने की कोशिश कर रही है। सबसे बड़ी बात ये है की यहाँ से राजस्थान की मुख्यमंत्री स्वयं चुनाव लड़ती हैं। ऐसे में ये कांग्रेस की बचकानी हरकत ही कही जाएगी। क्योंकि झालावाड़ ही नहीं पूरे हाड़ौती क्षेत्र को भाजपा का गढ़ कहा जाता है। और 2013 के विधानसभा चुनावों में कांग्रेस को कोटा संभाग में सिर्फ एक ही सीट मिली थी। जबकि 16 सीटों पर भाजपा के प्रत्याशी जीत कर आये थे।
उसके बाद भाजपा सरकार ने कोटा संभाग में इतने काम करवाए हैं कि कांग्रेस का वहां से जीतने का सपना सिर्फ सपना ही रहेगा। ऐसे में झालरापाटन की सीट पर जीतने का झूठा ख़्वाब कांग्रेस ना ही देखे तो अच्छा है। क्योंकि 15 सालों में वसुंधरा राजे ने झालरापाटन सहित झालावाड़ और आस पास के इलाकों में हर प्रकार के विकास कार्य करवाए हैं। जब 2003 में वसुंधरा राजे ने झालावाड़ में जाकर देखा तो वहां के हालत बहुत ख़राब थे। लोगों के लिए आधारभूत सुविधाओं भी उपलब्ध नहीं थीं। ऐसे में वसुंधरा राजे ने वहां की जनता के लिए विकास की लड़ाई लड़ी और उनका हक़ दिलाया। भोजन, पानी, स्वास्थ्य, शिक्षा, बिजली, यातायात और सभी प्रकार की तकनीकी सुविधाएं वहां अपने प्रयासों से लेकर आयी। वसुंधरा राजे ने झालरापाटन ही नहीं पूरे राजस्थान की अपने परिवार की तरह उन्नति की है। जब कभी वहां की जनता के कोई जायज मांग की और वो वसुंधरा राजे ने पूरी नहीं की ऐसा हुआ नहीं।
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जिस क्षेत्र को अपने घर की तरह विकसित किया वहीं से वसुंधरा राजे को हारने का मुंगेरी लाल का हसीन सपना सिर्फ कांग्रेस ही देख सकती है। लेकिन इतने अनाप-शनाप सपने भी ना देखें की पूरे ही ना हों। वैसे भी अगर कांग्रेस के नेता काम करते तो 2013 में उनका राजस्थान से सफाया नहीं होता। लेकिन ख़याली पुलाव पकाने वाली कांग्रेस ने तो राजस्थान को बर्बाद करने में कोई कसर नहीं छोड़ी थी। ऐसे में भाजपा ने ही लड़खड़ाते राजस्थान को संभाला और इसको अपने पैरों पर खड़ा कर चलने के काबिल बनाया। नतीजा भाजपा सरकार के प्रयासों से राजस्थान ना केवल चल रहा है, बल्कि विकास की दौड़ में दौड़ रहा है। और भाजपा सरकार एक बार फिर राजस्थान की सत्ता पर काबिज होकर राजस्थान को विकास की दौड़ में पहला स्थान दिलाएगी।