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राजस्थान विश्वविद्यालय चुनाव

राजस्थान विश्वविद्यालय में सियासत की बिसात बिछ चुकी थी। सब लोग अपनी-अपनी सेना के साथ कमर कस चुके थे। सब कुछ ठीक ठाक चल रहा था। लेकिन इन सब के बीच कुछ ऐसा हो गया। जिसका अभी तक किसी को अंदेशा नही है। 31 अगस्त, 2018 को जयपुर में राजस्थान विश्वविद्यालय के छात्रसंघ चुनाव आयोजित हुए थे। जिनका परिणाम 11 सितम्बर को आना है। वैसे तो चुनाव शांतिपूर्ण ढंग से संपन्न हो गए थे। मगर चुनावों से ठीक पहले रात को जो घटना हुई। उसको कांग्रेस के कुछ नेताओं और छात्र नेताओं ने जो रंग दिया। वो वाकई काबिले तारीफ है। तारीफ इसलिए कि वो लोग बड़ी चालाकी से राजनीतिक दाव खेल गए और किसी को कुछ पता भी नहीं चला।

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राजस्थान विश्वविद्यालय चुनाव

दरअसल बात ये है की राजस्थान विश्वविद्यालय छात्रसंघ चुनावों से पहले रात को एक घटना हुई। जिस पर एनएसयूआई के छात्र नेता और कांग्रेस नेताओं ने जमकर बयानबाजी की। और उसमे राजस्थान की वर्तमान भाजपा सरकार को भी घसीट लिया। घटना ये थी की राजस्थान छात्रसंघ चुनाव में 30 अगस्त की देर रात करीब 1 बजे एनएसयूआई के प्रत्याशी और प्रदेशाध्यक्ष पर जानलेवा हमले की झूठी बात विश्वविद्यालय में फैलाई गयी। जिसको सच्ची साबित करने के लिए एनएसयूआई के अध्यक्ष पद प्रत्याशी रणवीर सिंघानिया और प्रदेशाध्यक्ष अभिमन्यु पूनिया ने खुद अपने आप को चोटिल भी कर लिया। मामले को और ज्यादा तूल देने के लिए एनएसयूआई ने कांग्रेस के साथ मिलकर भाजपा सरकार पर आरोप लगाया की भाजपा सरकार ने अपने दल के छात्र नेताओं को जिताने के लिए हम पर हमला करवाया है। बाद में पता चला की वहां का माज़रा कुछ और ही था।

छात्रसंघ चुनावों के दो दिन बाद ये बात सामने आयी की एनएसयूआई ने चुनाव जीतने के लिए एक राजनीतिक दांव खेला था। जिसके तहत एनएसयूआई प्रत्याशी रणवीर सिंघानिया और प्रदेशाध्यक्ष अभिमन्यु पूनिया ने 30 अगस्त की रात को चुनावों के प्रचार-प्रसार पूरे होने के बाद छात्रावास लौटते समय अपने ऊपर रंग उड़ेल लिया और फिर वहां पर मौजूद विरोधी बागी प्रत्यासी तथा उसके साथियों से खुद आगे से झगड़ा करने लगे। झगडे में गाली-गलौज इतनी बढ़ गयी की बात हाथापाई पर पहुँच गयी। जिसमे दोनों पक्षों के लोगों को मामूली चोटें भी आयी। लेकिन एनएसयूआई और कांग्रेस ने इस मामले को सियासती रंग देने के लिए खुद अपने आप के चोटिल कर लिया और भाजपा सरकार और मुख्यमंत्री पर झूठे आरोप लगाए की ये सब उनके इशारों पर हुआ है। जिसके लिए प्रदेश कांग्रेस कमेटी के अध्यक्ष सचिन पायलट और नेता प्रतिपक्ष रामेश्वर डूडी ने भी अपनी-अपनी वाकपटुता से सरकार को घेरने कि कोशिश की। इसी रेलम पेल में कांग्रेस के विधायक धीरज गुर्जर और राजीव अरोड़ा भी विवि के गेट पर पहुंचे और सरकार की निन्दा की।

लेकिन घटना के बाद गुरुवार को एनएसयूआई के प्रत्याशी रणवीर सिंघानिया और प्रदेशाध्यक्ष अभिमन्यु पूनिया ने अस्पताल से डिस्चार्ज होने के बाद सीधे विश्वविद्यालय के गेट पर जाकर धरना दिया और सहानुभूति वोट मांगने हुए अपने पक्ष में मतदान की अपील की। इससे यही साबित होता है कि ये सिर्फ, एनएसयूआई की एक राजनीतिक चाल थी। इस घटना को एक सप्ताह बीत चुका है। लेकिन अभी तक किसी का भी नाम सामने नहीं आया है। और ना ही उस दिन के बाद एनएसयूआई और कांग्रेस ने भी कोई प्रतिक्रिया नहीं दी। अर्थात ये एनएसयूआई का सिर्फ एक चुनावी प्रपंच था। क्योंकि घोटाला कारना और झूट बोलना तो कांग्रेस की ऐसी आदत है जिसे ये कभी छोड़ नहीं सकती।

लेकिन इससे ये बात पूर्ण रूप से तय है की, कांग्रेस भ्रष्टाचार करने की आदत अपने नेताओं में शुरू से ही डाल देती है। तो ऐसे में आगे चलकर वो बड़े बड़े घोटाले नहीं करेंगे तो क्या करेंगे। जिसका जीता जागता उदहारण हम कांग्रेस के कई नेताओं के रूप में पहले भी देख चुके हैं और आज भी देख सकते हैं।

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