प्रदेश में आगामी विधानसभा चुनाव को लेकर हाल ही में लगी आदर्श आचार संहिता के बाद चुनावी सुगबुगाहट तेज हो गई है। वर्तमान में वसुंधरा राजे के नेतृत्व वाली भाजपा सरकार राजस्थान की सत्ता में है। 2013 के विधानसभा चुनाव में राजे दूसरी बार प्रदेश की मुख्यमंत्री बनीं, इन्हें राजस्थान की पहली महिला मुख्यमंत्री होने का भी गौरव हासिल है। प्रदेश में हुए पिछले विधानसभा चुनावों की बात करें तो पता चलता है कि महिला प्रत्याशियों का जीत का प्रतिशत पुरूष उम्मीदवारों के मुकाबले बेहतर है। पिछले चार चुनाव यानि 1998 से 2013 तक के विधानसभा चुनावों पर नज़र डालें तो आंकड़ें बताते हैं कि 2003 के चुनाव को छोड़ दें तो महिला प्रत्याशियों की जीत का प्रतिशत पुरूषों की तुलना में ज्यादा रहा है। यानि पिछले चार में से तीन चुनावों में महिला प्रत्याशियों को पुरूषों के मुकाबले ज्यादा सफलता मिली है।
पिछले 4 चुनावों में पुरूषों के मुकाबले 10 प्रतिशत भी महिला प्रत्याशी मैदान में नहीं
महिला प्रत्याशियों की जीत का प्रतिशत ज्यादा होने के बावजूद महिलाएं चुनाव मैदान में उतारने के मामले में पुरूषों से पीछे हैं। पिछले 4 चुनावों में पुरुष प्रत्याशियों के मुकाबले 10 प्रतिशत महिला प्रत्याशी भी मैदान में नहीं उतारी गईं। 1998 के विधानसभा चुनाव में 2445 प्रत्याशी मैदान में थे, इनमें 190 महिलाएं थीं, जिसमें 9 महिला प्रत्याशियों ने जीत दर्ज की। महिलाओं की जीत का प्रतिशत 21 प्रतिशत रहा, वहीं, पुरूष प्रत्याशियों की जीत का प्रतिशत मात्र 13.6 प्रतिशत रहा था। गत चार चुनावों में केवल 2003 के चुनाव में पुरूष प्रत्याशियों की जीत का प्रतिशत महिलाओं से अधिक रहा था। इस चुनाव में 1541 प्रत्याशी मैदान में थे। इनमें 118 महिलाएं थीं, 12 महिला प्रत्याशियों ने चुनाव में जीत दर्ज की और जीत का प्रतिशत 10 रहा। वहीं, पुरूष प्रत्याशियों का जीत प्रतिशत 13.2 प्रतिशत रहा था।
2008 के विधानसभा चुनाव में महिला प्रत्याशी पुरूषों पर भारी पड़ी और 154 महिला प्रत्याशियों में से 28 महिलाएं चुनाव जीतकर विधानसभा पहुंची थीं। वहीं, 2040 पुरूषों में से 172 ने जीत दर्ज की थी। इनका जीत प्रतिशत मात्र 8.4 प्रतिशत रहा था। चुनाव में कुल 2194 उम्मीदवार मैदान में थे। अगर बात करे पिछले चुनाव यानि 2013 के चुनाव की तो 166 महिला प्रत्याशी विधानसभा चुनाव में उतरी और इनमें से 28 ने जीत अपने नाम की। जीत का प्रतिशत रहा 17। 1930 पुरूष प्रत्याशी मैदान में थे, जिनमें से 172 ने जीत दर्ज की और इनकी जीत का प्रतिशत मात्र 9 रहा। इन चार परिणामों को देखकर कहा जा सकता है कि पुरूष प्रत्याशियों के मुकाबले महिला प्रत्याशियों का परिणाम बेहतर रहता है। आगामी विधानसभा चुनाव 2018 में महिलाओं की जीत का प्रतिशत और ज्यादा हो सकता है बशर्ते प्रमुख पार्टियां महिला उम्मीदवारों को ज्यादा से ज्यादा सीटों पर मैदान में उतारें।
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महिलाओं के लिए 2003 रहा है बड़ा यादगार
राजस्थान के इतिहास में 2003 का विधानसभा चुनाव बड़ा यादगार रहा। सबसे पहले तो प्रदेश को मुख्यमंत्री वसुंधरा राजे के रूप में पहली महिला मुख्यमंत्री मिलीं। इसके बाद विधानसभा स्पीकर भी महिला ही बनीं। सुमित्रा सिंह 2003 की राजस्थान सरकार में स्पीकर रहीं। सबसे खास यह रहा कि इस दौरान राज्यपाल भी महिला ही थीं। प्रदेश की राज्यपाल के तौर पर प्रतिभा पाटिल थीं। यानि कि राजस्थान की सत्ता में तीनों ही बड़ी कुर्सियों पर महिलाएं विराजमान थीं।