प्रदेश में लिंगानुपात को लेकर बड़ी अच्छी खबर सामने आई है। लिंगानुपात बढ़ने में प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी का ‘बेटी बचाओ, बेटी पढ़ाओ’ का नारा महत्वपूर्ण भूमिका निभाता नजर आ रहा है। राजस्थान में पिछले आठ साल से लिंगानुपात में लगातार सुधार हो रहा है। इन आठ वर्षों में लिंगानुपात 888 से बढ़कर 950 हो गया है। राज्य में वर्ष 2011 में एक हजार लड़कों पर मात्र 888 लड़कियां थी, अब इस संख्या में 62 तक की बढ़ोतरी हो गई है। प्रदेश में लिंगानुपात बढ़ने के पीछे बड़ा कारण पीसीपीएनडीटी एक्ट को माना जा रहा है। इस एक्ट का लोगों में डर होने के साथ ही प्रदेश में जागरूकता बढ़ी है जिसके कारण लिंगानुपात में लगातार बढ़ोतरी हो रही है। जिस गति से प्रदेश में लिंगानुपात बढ़ रहा है, उसे देखते हुए माना जा रहा है आने वाले दिनों में इस संख्या में और बढ़ोतरी हो सकती है।
कानून की पालन होने के साथ ही युवाओं में बढ़ रही है जागरूकता
राजस्थान में पीसीपीएनडीटी एक्ट लागू होने के बाद अब तक 131 डिकॉय ऑपरेशन के मामले हो चुके हैं। इनमें से पिछले तीन सालों में ही 102 डिकॉय ऑपरेशन हुए हैं। इसमें वर्ष 2016 में 25, वर्ष 2017 में 42 और वर्ष 2018 में अब तक 35 डिकॉय ऑपरेशन शामिल हैं। चिकित्सा, स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण विभाग के सचिव नवीन जैन ने बताया कि एक्ट लागू होने के बाद कानून की पालन हो रही है और साथ ही युवाओं में जागरूकता भी आ रही है। इसी का परिणाम है कि राज्य में लिंगानुपात के बेहतर परिणाम सामने आ रहे हैं। जैन ने बताया कि इस मामले पर जागरूकता के लिए बेटी पंचायत योजना शुरू की है। इस महीने के अंत तक 8 हजार पंचायतों में इस योजना को पहुंचाने का लक्ष्य रखा है।
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क्या है पीसीपीएनडीटी एक्ट?
जानकारी के लिए बता दें, पीसीपीएनडीटी एक्ट के तहत भ्रूण जांच करना बड़ा अपराध माना गया है। पीसीपीएनडीटी एक्ट का उल्लंघन करने पर सेक्शन-25 के तहत अपराधी को तीन साल की सजा का प्रावधान है। इसके अलावा अगर कोई फर्जी तरीके से भ्रूण जांच करते हुए पकड़ा जाता है तो धारा-315 के तहत उस अपराधी को जुर्म में 10 साल की सजा का प्रावधान है।