राजस्थान में कांग्रेस के बहुमत लाने के बावजूद भी अब तक सरकार नहीं बना पाना कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी के नेतृत्व पर सवाल उठा रहा है। राजस्थान में मुख्यमंत्री की कुर्सी को लेकर रस्साकशी इस कदर जारी है कि अशोक गहलोत व सचिन पायलट दोनों ही नेता पीछे हटने को तैयार नहीं है। एक तरफ राजस्थान में विधायकों की बैठक के बाद तय हुआ था कि कांग्रेस आलाकमान का निर्णय सर्वोपरि मानकर सबको स्वीकार्य होगा, लेकिन राहुल के निर्णय मानने को गहलोत व पायलट दोनों की ही रजामंदी नहीं दिख रही है।
नई दिल्ली स्थित राहुल गांधी के आवास पर हुई बैठक में प्रियंका गांधी का शामिल होकर मुख्यमंत्री पद के निर्णय में दखलअंदाजी करना दर्शाता है कि कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी अहम निर्णय लेने को स्वतंत्र नहीं है। या फिर यूं कहा जाए कि उनके फैसले को पार्टी के भीतर ही तवज्जो नहीं दी जा रही है। सूत्रों के मुताबिक सोनिया गांधी ‘गहलोत’ और राहुल गांधी ‘पायलट’ को सीएम बनाने के पक्ष में है। मुख्यमंत्री तय करने में काफी समय लग रहा है जो राहुल गांधी के नेतृत्व पर सवाल उठाता है।
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अगले साल 2019 में लोकसभा चुनाव के मद्देनजर देखा जाए तो राहुल भले ही कांग्रेस पार्टी को उभारने में सफल साबित हुए हैं लेकिन मुख्यमंत्री पद के चयन पर अकेले निर्णय नहीं ले पाना उनके नेतृत्व को संदेह के घेरे में शामिल करता है। अब देखना है कि सीएम को लेकर सस्पेंस कब खत्म होगा?