राजस्थान पहला ऐसा राज्य है जिसमें केवल 2 महिने 11 दिन में मासूम से बलात्कार के आरोपी को फांसी की सजा सुनाई है।
मासूमों से दुष्कर्म को लेकर राजस्थान सरकार की पहल और केन्द्र सरकार के बनाए कानूनों के चलते प्रदेश में इस तरह के कुकृत्यों पर काफी हद तक लगाम लगी है। आए दिन होने वाले इन अपराधों और अपराधियों पर नकेल कसने के लिए ही यह कानून बनाया गया है। नए कानूनों के तहत राजस्थान में मासूम से बलात्कार का प्रयास करने वाले को 14 साल की सजा मुकर्रर है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की ‘बेटी बचाओ बेटी पढ़ाओ’ की दिशा में यह एक नई शुरुआत कही जाए तो कुछ गलत नहीं होगा। इस कानून के बाद कहा जा सकता है, ‘यह राजस्थान की भाजपा सरकार है, यहां हर जुर्म की सजा मुकर्रर है।’
पोस्को केस में राजस्थान न्यायपालिका ने एक शानदार उदाहरण पेश करते हुए केवल 2 महिने 11 दिन में आरोपी को फांसी की सजा सुनाई है। संभवत: राजस्थान पहला ऐसा राज्य है जिसने इतने कम समय में आरोपी को सजा सुनाई है। इस केस में लगातार 22 दिन तक सुनवाई की गई है। मामला 10 मई, 2018 को अलवर जिले के लक्ष्मणगढ़ क्षेत्र के हरसाना गांव का है। दांडिक विधि संशोधन अध्यादेश लागू होने के बाद अल्पावधि में सुनवाई पूरा करने का प्रदेश का यह पहला मामला है।
महिलाओं और बच्चियों से रेप की वारदात को रोकने और दोषियों को कड़ी सजा देने के मकसद से केंद्रीय कैबिनेट ने क्रिमिनल लॉ (अमेंडमेंट) ऑर्डिनेंस-2018 को मंजूरी दे दी है। इसके तहत 12 साल से कम उम्र की मासूमों से रेप के दोषियों को मौत की सजा का प्रावधान किया गया है। इसके अलावा, 12 साल से अधिक और 16 साल से कम उम्र की लड़कियों से दुष्कर्म पर कड़ी सजा का प्रावधान है। ऐसे मामलों की जल्द से जल्द सुनवाई करने का भी प्रावधान किया गया है। बच्चियों के साथ हुईं इन भयावह घटनाओं को मोदी सरकार ने बेहद गंभीरता से लेते हुए कैबिनेट ने कड़ा अध्यादेश लाने को मंजूरी दी है।
आपराधिक कानून संशोधन अध्यादेश में भारतीय दंड संहिता (आईपीसी), साक्ष्य कानून, आपराधिक प्रक्रिया संहिता और बाल यौन अपराध संरक्षण कानून (पोक्सो) में संशोधन का प्रावधान है। मामले में आरोपियों को अग्रिम जमानत देने का कोई प्रावधान नहीं रखा गया है ताकि पीड़िता व उसके परिवार को कोई खतरा न हो।
इन बदलावों को मिली मंजूरी
- महिलाओं के साथ बलात्कार की सात साल की सजा को बढ़ाकर 10 साल तक की कठोर कारावास की सजा का प्रावधान किया गया। इसको आजीवन कारावास तक भी बढ़ाया जा सकता है।
- 12 साल से अधिक और 16 साल की लड़कियों से रेप के मामले में सजा को 10 साल से बढ़ाकर 20 साल किया गया है। इसको आजीवन कारावास तक बढ़ाया जा सकता है यानी दोषी को अपनी पूरी जिंदगी जेल में ही गुजारनी होगी।
- 12 साल से अधिक और 16 साल से कम उम्र की लड़की से गैंगरेप के मामले में दोषियों को आजीवन कारावास की सजा का प्रावधान किया गया है यानी उसकी मौत होने तक उसको जेल में रखा जाएगा।
- 12 साल की कम उम्र की बच्ची से रेप के दोषी को कम से कम 20 की सजा या आजीवन कारावास या मौत की सजा का प्रावधान किया गया है।
- 12 साल की कम उम्र की बच्ची से गैंगरेप के दोषी को आजीवन कारावास या फिर मौत की सजा दी जाएगी।
अग्रिम जमानत पर रोक
- 12 साल से अधिक और 16 साल से कम उम्र की लड़की से रेप या गैंगरेप के मामले में आरोपियों को अग्रिम जमानत देने का कोई प्रावधान नहीं होगा।
- अदालत 12 साल से अधिक और 16 साल से कम उम्र की लड़की से रेप के मामले में जमानत पर फैसला लेने से 15 दिन पहले लोक अभियोजक और पीड़िता के रिप्रेजेंटेटिव को नोटिस देगा।
- राज्य/केंद्र शासित प्रदेश और हाईकोर्ट से सलाह-मशविरा करके नए फास्ट ट्रैक कोर्ट बनाए जाएंगे। इसके अलावा लोक अभियोजकों की संख्या बढ़ाई जाएगी। सभी पुलिस स्टेशन और हॉस्पिटल में दुष्कर्म मामले की जांच के लिए स्पेशल फॉरेंसिक किट उपलब्ध कराई जाएगी।
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