2018 विदा हो चुका है और उसके साथ ही विदा हो गई हैं कुछ ऐसी यादें, जिनकी अमिट यादें सीने पर दर्द की छाप छोड़ गई है। ऐसा ही कुछ हुआ है भाजपा के साथ राजस्थान विधानसभा चुनावों में। हाल ही में हुए विधानसभा चुनावों में भाजपा को कांग्रेस के सामने हार का सामना करना पड़ा है। अब नया साल शुरु हो गया है तो भाजपा फिर से एकजूट होकर देश की सत्ता में वापसी के लिए हूंकार भरेगी। अगले कुछ महीनों में लोकसभा चुनाव होने हैं और सत्ताधारी मोदी सरकार फिर से सत्ता में वापसी का माददा रखती है। प्रदेश में इसकी जिम्मेदारी फिर से पूर्व मुख्यमंत्री वसुन्धरा राजे के अनुभवी कंधों पर होगी।
राजस्थान में लोकसभा की कुल 25 सीटें हैं। पिछली बार सभी की सभी 25 सीटें भाजपा के खाते में आयी थी। हालांकि विधानसभा हाथ से निकल गया है लेकिन इसके बाद भी कुछ ऐसा ही जादू होने की पूरी उम्मीद है।
ओवरआॅल बात करें तो लोकसभा चुनावों में कुल 90 करोड़ वोटर अपने मत का इस्तेमाल करेंगे। इनमें से 25 करोड़ मतदाता 24 साल तक के युवा होंगे जबकि 39 करोड़ वोटर 35 से 69 साल के बीच के होंगे। यानि करीब आधे वोटर युवा मतदाता होंगे। इसे देखते हुए कहा जा सकता है कि 2019 के लोकसभा चुनावों में युवाओं की सबसे अहम भूमिका होगी। आयोग ने पिछले 4 सालों में 4.51 करोड़ नए वोटर भी जोड़े हैं और चुनाव से पहले करीब ढाई करोड़ वोटर जोड़े शेष हैं जो पहली बार वोट का इस्तेमाल करेंगे। इस बार भारत में यूरोप और उत्तरी अमेरिका के 74 देशों से भी अधिक वोटर होंगे।
देश में सभी 16 लाख ईवीएम के साथ वीवीपैट इस्तेमाल होंगे। इससे पहले यह प्रयोग राजस्थान विधानसभा चुनाव में हो चुका है जो काफी हद तक सफर रहा है। लोकसभा चुनाव में करीब 1.20 करोड़ कर्मचारी अपनी भागीदारी निभाएंगे। बता दें, लोकसभा के साथ 5 और साल के अंत में 3 राज्यों में विधानसभा चुनाव भी होने हैं। लोकसभा के साथ आंध्र प्रदेश, ओडिशा, अरुणाचल, सिक्किम व जम्मू-कश्मीर और साल के आखिरी में हरियाणा, महाराष्ट्र और झारखंड़ में विधानसभा चुनाव होने हैं। अधिकांश राज्यों में पहले से ही भाजपा सरकार है जिनके वापसी की उम्मीदें प्रबल हैं।
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