जयपुर। राजस्थान विधानसभा का सोमवार को बजट सत्र का आखिरी दिन है। इस दौरान राज्य सरकार कई महत्वपूर्ण बिल पेश करने जा रही है। खबर के अनुसार, विधानसभा में दो प्रमुख विधेयकों पर चर्चा होगी। एक विधेयक प्रेमी जोड़ों की सुरक्षा को लेकर तो दूसरा मॉब लिंचिंग पर रोक को लेकर है। दोनों के पास होने पर ऑनर किलिंग और मॉब लिंचिंग कानून राजस्थान में लागू हो जाएगा। इसमें राजस्थान लिंचिंग से संरक्षण विधेयक 2019 और वैवाहिक संबंधों की स्वतंत्रता में हस्तक्षेप का प्रतिषेध विधेयक 2019 शामिल है। दोनों विधेयक सरकार ने 30 जुलाई को सदन में पेश किए थे। विधानसभा की कार्यवाही प्रश्नकाल से शुरू होगी और विधायकों की ओर से प्रश्नकाल और शून्यकाल में जनहित के मुद्दे उठाए जाएंगे।

इन मुद्दों पर भी होगी चर्चा
बताया जा रहा है कि आज के सत्र के दौरान चिकित्सा, उद्योग, सामाजिक न्याय एवं अधिकारिता, राजस्व, देवस्थान, कार्मिक, उच्च शिक्षा, संस्कृत शिक्षा, राजस्व, जनजाति क्षेत्रीय विकास, पर्यटन, सिंचित क्षेत्र और विकास विभाग से संबंधित सवाला भी होंगे।

ऑनर किलिंग में फांसी या आजीवन कारावास और 5 लाख का जुर्माना
राज्य में ऑनर किलिंग को लेकर प्रदेश सरकार ने सख्त कानून बनाया है। जाति, समुदाय, परिवार के नाम पर वैवाहिक युगल में से किसी को भी जान से मारने पर फांसी या आजीवन कारावास की सजा दी जा सकेगी। ऐसे मामले गैरजमानती हाेंगे। पांच लाख रुपए का जुर्माना भी लगेगा। वैवाहिक जोड़े पर जानलेवा हमला करने वालों को 10 साल से लेकर आजीवन कारावास तक की सजा का प्रावधान भी बिल में किया गया है।

मॉब लिंचिंग में उम्र कैद और 5 लाख का जुर्माना
वहीं धर्म, जाति, भाषा, राजनीतिक विचारधारा, समुदाय और जन्म स्थान के नाम पर भीड़ द्वारा की जाने वाली हिंसा को इस बिल में मॉब लिंचिंग माना गया है। दो या दो से ज्यादा व्यक्ति को मॉब की परिभाषा में शामिल किया गया है। लिंचिंग की घटना में पीड़ित की मृत्यु हो जाने पर दोषियों को आजीवन कठोर कारावास के साथ 5 लाख रुपए का जुर्माना लगाया जाएगा।

इंस्पेक्टर रैंक का अफसर ही करेगा जांच
धर्म, जाति, भाषा, राजनीतिक विचारधारा, समुदाय और जन्म स्थान के नाम पर भीड़ द्वारा की जाने वाली हिंसा को इस बिल में माॅब लिंचिंग माना गया है। लिंचिंग से जुड़े मामलों की जांच पुलिस इंस्पेक्टर रैंक से नीचे का अफसर नहीं करेगा। राज्य में आईजी रैंक व जिलों में डीएसपी रैंक का अफसर मॉनिटरिंग करेगा। तुरंत सुनवाई के लिए हाईकोर्ट के मुख्य न्यायाधीश की सलाह पर विशेष न्यायाधीश नियुक्त कर सकेंगे। सेशन स्तर के न्यायाधीश ही ऐसे मामलों की सुनवाई कर सकेंगे।