भारत और रूस के बीच 10 दिसंबर से राजस्थान में युद्ध अभ्यास होगा। दोनों दोस्त मुल्कों की वायुसेना के बीच जोधपुर एयरबेस पर युद्धाभ्यास किया जाएगा। भारत-रूस के संयुक्त युद्धाभ्यास ‘अविन्द्रा’ की शुरूआत 10 दिसंबर से होगी और यह 22 दिसंबर तक चलेगा। इस दौरान रूस की वायुसेना भारतीय लड़ाकू विमानों के साथ हमारी वायुसेना से युद्ध कौशल सीखेगी। उधर, रूस के लिवेस्टक एयरबेस पर 17 सितंबर से भारत और रूस के बीच युद्धाभ्यास शुरू हो चुका है, जो 28 सितंबर तक चलेगा। बता दें, इसमें शिरकत करने के लिए 30 सदस्यीय भारतीय दल रूस गया हुआ है। इसके बाद जोधपुर में दोनों देशों के बीच दिसंबरद में युद्धाभ्यास का आयोजन होगा। इधर, भारत और अमेरिका के बीच भी रानीखेत के चौबटिया में युद्धाभ्यास चल रहा है। भारत और अमेरिका के बीच अब तक के सबसे बड़े संयुक्त सैन्य युद्धाभ्यास ‘युद्ध अभ्यास-2018’ में दोनों देशों के सैनिक एक-दूसरे से ट्रेनिंग ले रहे हैं।
यह होगा भारत-रूस के संयुक्त युद्धाभ्यास में
भारत-रूस के बीच होने वाले युद्धाभ्यास में दोनों देशों के लड़ाकू पायलट एक-दूसरे को अपने विमानों की युद्ध कला साझा करेंगे। युद्धाभ्यास में फाइटर ऑपरेशन, ग्रुप लड़ाकू कौशल, हाई हवाई टारगेट पर फोकस रहेगा। इस दौरान दोनों ही देश एक-दूसरे के विमानों में उड़ान भरेंगे। साथ ही ग्राउंड स्टाफ आपस में तैयारियों को शेयर करेंगे। रूस में युद्धाभ्यास अविन्द्रा में भाग लेने के लिए गए भारतीय दल में 4 महिला अफसर भी शामिल हैं। इनमें फ्लाइंग, एडमिन व मेडिकल ब्रांच की अफसर शामिल हैं। वहां पर ये दल रूस के लड़ाकू विमान सुखोई-30 एसएम, मिग-29, सुखोई-25, हेलिकॉप्टर एमआई 8 तथा एएन 26 जैसे मालवाहक विमान के साथ अपने रण-कौशल का प्रदर्शन करेगा। जोधपुर में भारत-रूस युद्धाभ्यास के दौरान सुखोई 30 एमकेआई, तेजस, एडवांस लाइट हेलिकॉप्टर समेत भारत के पास रूस में निर्मित विमान उड़ाएंगे।
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हमारी वायुसेना से आतंकवाद का मुकाबला करना सीखेंगी रूस की एयरफोर्स
जोधपुर में होने वाले युद्धाभ्यास में रूस की एयरफोर्स के हमारी वायुसेना के जांबाजों से आतंकवाद का मुकाबला करना सीखेंगे। इसके लिए विशेष तौर पर भारतीय वायुसेना का दक्ष गरुड़ कमांडो दल के साथ रूस के कमांडो मुश्किल ऑपरेशन का अभ्यास करेंगे। भारत-रूस युद्धाभ्यास में इसके साथ ही एक दूसरे की वायुसेना को समझने व परखने का मौका भी मिलेगा। जिससे रूस में निर्मित हथियारों को संचालित करने में आसानी होगी। माना जा रहा है कि यह युद्धाभ्यास आने वाली कई महत्वपूर्ण डिफेंस डील का भविष्य भी तय करेगा।