राजस्थान सरकार में सामाजिक न्याय एवं अधिकारिता मंत्री अरुण चतुर्वेदी ने मंगलवार को विधानसभा में कहा कि राज्य सरकार ने आंगनबाड़ी केन्द्रों में कार्यरत कार्मिकों का समय-समय पर मानदेय बढ़ाया है। इस वर्ष के बजट में सभी कार्मिकों के मानदेय में लगभग 26 से 37 फीसदी तक वृद्धि की गई है। चतुर्वेदी ने प्रश्नकाल के दौरान इस संबंध में विधायकों की ओर से पूछे गए पूरक प्रश्नों का महिला एवं बाल विकास राज्य मंत्री की ओर से जवाब देते हुए कहा कि राज्य सरकार ने आंगनबाड़ी केन्द्रों में कार्यरत कार्मिकों के मानदेय में पिछले तीन साल से लगातार बढ़ोतरी की है। इस वर्ष की बजट घोषणा में इनके मानदेय में 26.84 से 37.50 प्रतिशत वृद्धि की गई है।
आंगनबाड़ी कार्यकर्ता, सहायिका, सहयोगिनी और ग्राम साथिन के मानदेय में वृद्धि
सामाजिक न्याय एवं अधिकारिता मंत्री चतुर्वेदी ने बताया कि आंगनबाड़ी कार्यकर्ता का मानदेय 6 हजार, मिनी आंगनबाड़ी कार्यकर्ता का 4 हजार 500, सहायिका का 3 हजार 500, आशा सहयोगिनी का 2 हजार 500 एवं ग्राम साथिन का 3 हजार 300 रुपए किया गया है। सर्वोच्च न्यायालय ने इन कार्मिकों को अनिवार्य रूप से न्यूनतम मजदूरी एवं स्थाई सेवा के समकक्ष नहीं माना है। उन्होंने बताया कि इन कार्मिकों के काम की प्रकृति अलग-अलग है। उसी के अनुसार इनका मानदेय तय किया गया है। इसलिए अलग-अलग पदों पर कार्यरत कार्मिकों का मानदेय समान नहीं किया जा सकता है।
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मानदेयकर्मियों को राज्य कर्मचारी का दर्जा नहीं दिया जा सकता: एजेई मिनिस्टर
इससे पहले विधायक किरोड़ीलाल मीणा के मूल प्रश्न का जवाब देते हुए सामाजिक न्याय एवं अधिकारिता मंत्री ने कहा कि प्रदेश में आंगनबाड़ी केन्द्रों पर आंगनवाड़ी कार्यकर्ता, सहायिका, आशा सहयोगिनी एवं साथिन संविदा पर सेवाएं नहीं दे रही है, बल्कि ये स्वेच्छिक आधार पर मानदेयकर्मी के रूप में सेवाएं दे रही हैं। उन्होंने बताया कि आंगनबाड़ी कार्यकर्ता 53 हजार 357, मिनी कार्यकर्ता 5 हजार 633, सहायिका 52 हजार 547, आशा सहयोगिनी 48 हजार 639 एवं साथिन 8 हजार 69 कार्यरत है। मंत्री चतुर्वेदी ने बताया कि इन मानदेयकर्मियों को राज्य कर्मचारी का दर्जा नहीं दिया जा सकता क्योंकि ये राज्य कर्मचारी नहीं होकर पूर्णतः अस्थाई एवं स्वैच्छिक सेवा भावना से कार्य करने वाली मानदेयकर्मी हैं।