राजस्थान की धरा पर 441 साल पहले जो भीषण युद्ध आज तक बेनतीजा माना जाता रहा था, अब उसका परिणाम सरकार बदलने जा रही है। हम बात कर रहे हैं 1576 ई. में हुए हल्दीघाटी युद्ध की।
भाजपा विधायक ने उठाया प्रताप की जीत का मुद्दा
दरअसल, हाल ही राजस्थान विश्वविद्यालय सिंडिकेट की बैठक में भाजपा विधायक और राज्य सरकार के प्रतिनिधि मोहनलाल गुप्ता ने इस युद्ध में महाराणा प्रताप की विजय का मुद्दा उठाया है। उन्होंने एक शोध का हवाला देते हुए कॉलेज शिक्षा पाठ्यक्रम में महाराणा प्रताप की इस विजय के उल्लेख किए जाने की मांग रखी है।
हल्दी घाटी युद्ध की सिफारिशों को भेजा हिस्ट्री बोर्ड ऑफ स्टडीज के पास
उल्लेखनीय है कि विधायक के इन सुझावों को विश्वविद्यालय के कुलपति पद का अतिरिक्त कार्यभार संभालने वाले संभागीय आयुक्त राजेश्वर सिंह ने भी गंभीरता से लिया है। सिंह ने कहा है कि वे हल्दीघाटी युद्ध को लेकर आई सिफारिशों को हिस्ट्री बोर्ड ऑफ स्टडीज के पास भेज रहे हैं। यानि बोर्ड इसकी जांच करेगा और फिर अकैडमिक काउंसिल को अप्रूवल के लिए भेजेगा। अब यदि भाजपा विधायक की सिफारिशें माल ली जाती हैं तो माध्यमिक शिक्षा बोड के पाठ्यक्रम की तरह जल्द ही कॉलेज पाठ्यक्रम में बदलाव लगभग तय है। इतिहास बदलेगा और अकबर महान की जगह महराणा प्रताप को महान पढ़ाया जाने लगेगा।
राजस्थान का इतिहास गौरवांवित है, नई पीढ़ी को अवगत करा रहे हैं
इस विषय में राजस्थान के राज्य शिक्षा मंत्री वासुदेव देवनानी ने कहा है कि राजस्थान का इतिहास गौरवांवित करने वाला है। आज की नई पीढ़ी को इससे अवगत कराया जाना जरूरी है। देवनानी कहते हैं कि इतिहास के स्कूली पाठ्यक्रम में तथ्यों के आधार पर कुछ बदलाव किए जा चुके हैं और यदि महाराणा प्रताप के शौर्य और पराक्रम को कॉलेज पाठ्यक्रम में जोड़ा जाता है तो इसमें गलत क्या है?
किसके पास है हल्दीघाटी युद्ध में प्रताप की जीत के सबूत?
राजस्थान विद्यापीठ विश्वविद्यालय में उदयपुर के मीरा कन्या महाविद्यालय के प्रोफेसर और इतिहासकार डॉक्टर चन्द्रशेखर शर्मा ने यह शोध प्रस्तुत किया है। महाराणा प्रताप के समकालीन ताम्र पत्रों को आधार बताते हुए डॉ. शर्मा ने हल्दीघाटी के युद्ध में प्रताप की जीत का दावा किया है। डॉ. शर्मा के मुताबिक 18 जून 1576 ई. को हल्दीघाटी युद्ध मेवाड़ तथा मुगलों के मध्य हुआ था। अभी तक युद्ध अनिर्णायक बताया जाता रहा है। लेकिन असल में इस युद्ध में महाराणा प्रताप ने जीत हासिल की थी। डॉ. शर्मा ने विजय को दर्शाते प्रमाण राजस्थान विद्यापीठ विश्वविद्यालय में जमा कराए हैं।
क्या है सबूत?
महाराणा प्रताप और मुगल सम्राट अकबर के बीच 18 जून 1576 में हुए हल्टीघाटी युद्व का परिणाम करीब साढ़े चार सौ साल बाद अब सामने आया है। डॉ. शर्मा ने अपने शोध में प्रताप की विजय को दर्शाते ताम्र पत्रों से जुडे़ प्रमाण जनार्दनराय नागर राजस्थान विद्यापीठ विश्वविद्यालय में जमा कराए गए हैं। उनके अनुसार युद्ध के बाद अगले एक साल तक महाराणा प्रताप ने हल्दीघाटी के आस-पास के गांवों की जमीनों के पट्टे ताम्र पत्र के रूप में जारी किए थे। इन पर एकलिंगनाथ के दीवान प्रताप के हस्ताक्षर थे। उस समय जमीनों के पट्टे जारी करने का अधिकार सिर्फ राजा को ही होता था। प्रताप की जीत का दावा करने संबंधी ताम्र पत्रों से जुड़े प्रमाण जनार्दनराय नागर राजस्थान विद्यापीठ विश्वविद्यालय में जमा कराए गए है।
अकबर ने सेनापतियों को दी थी सजा!
मेवाड़ के दूसरे इतिहासकार भी इस शोध को सही बता रहे हैं। इतिहासकार डॉ. शर्मा बताते है कि शोध में सामने आया कि हल्दीघाटी युद्ध के बाद मुगल सेनापति मान सिंह व आसिफ खां से युद्ध के परिणामों को लेकर अकबर नाराज हुए थे। दोनों को छह महीने तक दरबार में नहीं आने की सजा दी गई थी। शर्मा कहते है कि अगर मुगल सेना जीतती, तो अकबर अपने सबसे बड़े विरोधी प्रताप को हराने वालों को पुरस्कृत जरूर करते, लेकिन ऐसा नहीं हुआ जो इस बात को साफ जाहिर करता है कि महाराणा प्रताप ने हल्दीघाटी के युद्ध को संपूर्ण साहस के साथ जीता था।