राजस्थान के बांसवाड़ा जिले का रहने वाला एक किसान अपनी छोटी सी जमीन पर खेती करके केवल 25 हजार रूपए सालाना की आमदनी कर पाता था। इसी पैसे से वह घर भी चलाता और बच्चों की पढ़ाई भी। मक्का व गेहूं की परंपरागत खेती करने के बावजूद खर्च व मेहनत ज्यादा होने के बावजूद पैदावार कम होती जिससे आर्थिक् स्थिति और अधिक बिगड़ने लगी। इसके बाद इस किसान ने उद्यान विभाग के सहायक निदेशक शांतिलाल डामोर से सलाह कर नकदी फसलों की खेती की और आज वह खुशहाल जिंदगी जी रहा है।
यह कहानी है बांसवाड़ा जिले की बागीदौरा पंचायत समिति के झेरपाड़ा गांव के 60 वर्षीय जनजाति काश्तकार थावरा की। अपनी जीतोड़ मेहनत के बाद भी परिवार का भरण पोषण ठीक से न कर पाने वाले थावरा की आज जिंदगी बड़े मजे से कट रही है। यह सब संभव हुआ है राजस्थान सरकार की कल्याणकारी योजनाओं की बदौलत। थावरा ने उद्यान विभाग के सहायक निदेशक से जानकारी प्राप्त कर अपने 1.80 हैक्टेयर खेत पर नकदी फसल के रूप में आम व अमरूद के पौधे उगाए। इससे उसे 80 क्विंटल की पैदावार हुई और उसे 2.25 लाख रूपए की आमदनी प्राप्त हुई। मौसम के अनुसार थावरा ने टमाटर, बैंगन, मिर्च व भिंडी जैसे सब्जियों की खेती की और सिंचाई में ड्रिप पद्धति का सहारा लिया। सब्जियों की खेती से थापरा को 40 हजार रूपए की सालाना आय हुई। इस दौरान थावरा ने खेत के चारों ओर ताईवान किस्म के पपीते के एक हजार 200 पौधे भी रोप दिए जिसने उसकी आमदनी को बढ़ा दिया।
राजस्थान सरकार की राष्ट्रीय बागवानी मिशन योजना के तहत थावरा ने प्याज भंडारण का काम अपने हाथ में लिया और 300 क्विंटल प्याज का भंडारण कर 2 लाख रूपए की आमदनी प्राप्त की। इस तरह राजस्थान सरकार की योजनाओं व सरकारी मार्गदर्शन के चलते थावरा को 4 से 5 लाख रूपए तक सालाना की आमदनी होने लगी। ट्रिप सिंचाई से उसकी जमीन उपजाऊ तो होने ही लगी, खेत सोना उगलने लगे। इससे उसकी आर्थिक स्थिति सुधरने लगी और रहन—सहन उन्नत होने लगा।
अपनी जिंदगी के सुखद परिवर्तन के लिए थावरा राजस्थान सरकार व मुख्यमंत्री वसुंधरा राजे का आभार व्यक्त करते हुए कहता है कि “राजस्थान सरकार द्वारा चलाई जा रही इतनी सारी योजनाओं ने उसकी जिंदगी बदल दी है। इसके लिए माननीय वसुंधरा राजे का धन्यवाद।”
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