मुख्यमंत्री वसुंधरा राजे के नेतृत्व वाली राजस्थान सरकार ने गुरुवार को सरकारी स्कूलों को पीपीपी मोड पर देने का अपना फैसला अब स्थगित कर दिया है। स्कूलों के निजीकरण की ओर बढ़ाए कदम को वापस उठाने पर राज्य शिक्षक संगठनों ने खुशी जाहिर की है। इससे पहले राजस्थान सरकार के स्कूलों को पीपीपी मोड पर देने की दिशा में बढ़ाए कदमों पर शिक्षक संगठनों ने नाखुशी जताई थी। सरकार के इस फैसले से यह साफ हो गया है कि अब सरकारी स्कूलों को पीपीपी मोड पर नहीं दिया जाएगा। सरकार के इस फैसले से शिक्षक संगठनों, विपक्षी दल और प्रदेशभर के आमजनों ने खुशी जताई है।
पिछले साल 300 सरकारी स्कूलों को पीपीपी मॉडल पर देने का लिया गया था निर्णय
जानकारी के लिए बता दें कि पिछले साल सितंबर में मुख्यमंत्री वसुंधरा राजे की अध्यक्षता में हुई मंत्रिमण्डलीय बैठक में प्रदेश के 300 सरकारी स्कूलों को पीपीपी मॉडल पर संचालित करने का महत्त्वपूर्ण निर्णय लिया गया था। उस दौरान संसदीय कार्य मंत्री राजेन्द्र राठौड़ ने बताया था कि मंत्रिमण्डल ने प्रदेश में शिक्षा की गुणवत्ता बढ़ाने और पिछड़े क्षेत्रों में बच्चों को उत्कृष्ट शिक्षा उपलब्ध कराने के उद्देश्य से स्कूल शिक्षा विभाग की सार्वजनिक-निजी सहभागिता (पीपीपी) नीति-2017 को मंजूरी दी है। लेकिन इसके विरोध और शिक्षकों की नाराजगी के कारण सरकार को अपना निर्णय बदलना पड़ा है।
सरकार की इस नीति के तहत प्रथम चरण में राज्य के कुल 9895 माध्यमिक और उच्च माध्यमिक स्कूलों में से 300 स्कूलों को पीपीपी मोड पर संचालित किया जाना था। राज्य सरकार ने तर्क दिया था कि राजस्थान के आदर्श विद्यालय तथा संभागीय एवं जिला मुख्यालयों के विद्यालय इस नीति से बाहर रहेंगे। सरकार ने अपने इस निर्णय पर कहा था कि इन 300 स्कूलों में भी छात्र-छात्राओं को वर्तमान में उपलब्ध अनुदान, छात्रवृत्ति और मिड-डे-मील आदि सभी सुविधाओं का लाभ यथावत मिलता रहेगा और विद्यार्थियों या अभिभावकों से किसी प्रकार का अतिरिक्त शुल्क नहीं लिया जाएगा। लेकिन अब सरकार ने शिक्षक संगठनों और लोगों की भावना को समझते हुए अपना निर्णय बदल दिया है।