राजस्थान सरकार ने हाल ही में शराब के दामों में 20 प्रतिशत की बढ़ोतरी की है। इस बढ़ोतरी को वसुन्धरा सरकार ने प्रदेश में गौ संरक्षण सरचार्ज के माध्यम से वसुलने की तैयारी की है। कहने का मतलब है कि बढ़ाई हुई कीमतों के पैसों को गौ संरक्षण के लिए खर्च किया जाएगा। हालांकि यह एक अच्छी पहल कही जा सकती है लेकिन राजस्थान के पूर्व मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने इस पहल पर एक अजीब सा बयान दिया है। गहलोत ने कहा है कि शराब के पैसों से गायों का संरक्षण ठीक नहीं। हालांकि जो नोटिफिकेशन जारी हुआ है उसमें यह नहीं लिखा है कि शराब पर लगे 20 फीसदी सरचार्ज से जो पैसे आएंगे वो गायों की सेवा में जाएंगे।
राजस्थान के आबकारी विभाग ने प्रपोजल दिया था कि शराब पर टैक्स लगाकर उससे होने वाली कमाई को गौ सेवा में खर्च किया जा सकता है, जिसे लेकर कैबिनेट में नोट के रूप में सर्कुलेट किया गया था। सुझाव वित्त विभाग को भेज दिया गया था और अब जब सरचार्ज लगा है तो यह माना जा रहा है कि गौ सेवा के लिए ही यह सरचार्ज लगाया गया है।
कांग्रेस संगठन महासचिव ने कहा है, ‘शराब का पैसा गायों पर खर्च करना ठीक नहीं। सरकार शराब से गायें न बचाए. इस फंड का गायों के लिए इस्तेमाल न करे।’ उन्होंने अपने इस स्टेटमेंट में जनता को भी शामिल करते हुए कहा कि ‘लोग मुझसे कह रहे हैं कि कृपया करके इस शराब के पैसे को गायों पर खर्च मत करवाओ।’
असल में राजस्थान देश का पहला ऐसा राज्य है जहां पर गायों की सेवा के लिए गौ मंत्रालय है। लेकिन केंद्र सरकार से गौशालाओं के लिए अनुदान फिलहाल बंद हो चुका है। ऐसे में अगर इस फंड को गौ संरक्षण के लिए खर्च भी किया जाता है तो इसमें किसी को कोई आपत्ति नहीं होनी चाहिए। अगर गहलोत को लगता है कि शराब से मिले पैसे पवित्र नहीं है तो पान, बीड़ी, सिगरेट और तम्बाकू से मिले पैसों से चैरेटी करना भी किसी भी तरह से ठीक नहीं है लेकिन फिर भी यह सब चल रहा है।
यह बात किसी से छिपी नहीं है कि आगामी 6 महीनों में राजस्थान विधानसभा के चुनाव होने हैं। ऐसे में किसी न किसी बात पर हंगामा करना या उसे चुनावी मुद्दा बनाना विपक्ष के लिए भी जरूरी है। ऐसे में इस मुद्दे को हवा देना शायद पूर्व मुख्यमंत्री के लिए अच्छा चुनावी दाव हो लेकिन गौ संरक्षण के नाम पर इसे राजनीति से जोड़ना अच्छी बात नहीं है।
गौर करने वाली बात यह है कि हिन्दू समाज में गाय को माता मानने के बावजूद प्रदेश में गोधन की दूर्दशा किसी से छिपी नहीं है। प्रदेश में गिनी-चुनी गौशालाओं के दम पर गौ संरक्षण नहीं किया जा सकता, यह बात सभी जानते हैं। ऐसे में शराब की बढ़ी कीमतों से आए फंड से यह कार्य करना किसी भी तरीके से गलत नहीं होना चाहिए।
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