लोकसभा चुनाव 2019 की तारीखों के ऐलान के बाद भाजपा व कांग्रेस समेत अन्य विपक्षी दलों के बीच महासंग्राम अब चरम पर पहुंचता नजर आ रहा है। इस बार का मुकाबला पिछले चुनावी समर से बेहद दिलचस्प साबित होने जा रहा है। राजस्थान में मुख्य रूप से भाजपा व कांग्रेस पार्टी प्रत्याशियों को लेकर मैराथन बैठकें कर रही है। मिशन-25 को फतह करने के लिए कांग्रेस के सामने नई मुश्किल खड़ी हो गई है। दरअसल लोकसभा चुनाव टिकट के उम्मीदवार चयन को लेकर कांग्रेस में कई मंत्रियों व विधायकों ने नाम सामने आए हैं, लेकिन कोई भी नेता सत्ता का मोह त्यागने को तैयार नहीं है।
सूत्रों के मुताबिक राजस्थान से करीब 6 मंत्री और विधायकों को लोकसभा चुनाव के मैदान में उतारने के लिए कांग्रेस के बड़े नेताओं ने नाम सुझाए हैं लेकिन ये नेता लोकसभा के चुनावी समर में उतरने के लिए रजामंद नहीं है। अजमेर से चिकित्सा मंत्री रघु शर्मा, जयपुर ग्रामीण से कृषि मंत्री लालचंद कटारिया, जयपुर से मुख्य सचेतक महेश जोशी, झालावाड़-बारां से खान व पेट्रोलियम मंत्री प्रमोद जैन भाया, दौसा से उद्योग मंत्री परसादीलाल मीणा समेत अन्य विधायकों के नाम प्रमुख रूप से शामिल है। हालांकि इन नेताओं ने स्वयं के लिए टिकट न लेकर अपने रिश्तेदारों के नाम आगे कर दिए हैं।
चुनाव नहीं लड़ने के पीछे ये है मुख्य वजह
ऐसी परिस्थिति में अब कांग्रेस को टिकट के लिए योग्य प्रत्याशियों के चयन में भारी मशक्कत का सामना करना पड़ रहा है। इन मंत्री-विधायकों को समझाने के लिए केन्द्रीय व प्रदेश नेतृत्व लगातार संपर्क में है। राजनीतिक गलियारों में चर्चा है कि मोदी सरकार के दोबारा सत्ता में आने की ज्यादा प्रबल संभावना है। ऐसे में इन मंत्री-विधायकों को अच्छी तरह पता है कि अगर वे चुनाव जीतते हैं तो केन्द्र में कांग्रेस की सरकार बनने के कोई चांस नहीं है, ऐसे में वह राज्य में रहकर ही सत्ता सुख प्राप्त करने की जुगत में है।